Mahuadanr: सियारों के आतंक से ग्रामीणों में डर का माहौल
महुआडांड़ के किता गांव और झुमरी महूआ टोली में सियारों के हमलों से ग्रामीण डरे हुए हैं। वन विभाग ने सुरक्षा उपायों की योजना बनाई है। जानें पूरी खबर।
महुआडांड़ के किता गांव और झुमरी महूआ टोली में इन दिनों एक अजीब तरह का डर छाया हुआ है। इन इलाकों के ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से सियारों के झुंड ने उनके बकरियों और मुर्गियों पर हमला करना शुरू कर दिया है। ये जंगली जानवर अब ग्रामीणों के पास तक पहुंचने लगे हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
सियारों की मुठभेड़ और उसका असर
गांव वालों के अनुसार, ये घटनाएं शाम के समय लगभग पांच बजे के आसपास होती हैं। सियारों के झुंड ने बकरियों और मुर्गियों के छोटे बच्चों को शिकार बना लिया है। इस कारण ग्रामीणों में भय का माहौल है। जब ये जंगली जानवर लोगों के करीब आकर उनकी गतिविधियों को देख रहे हैं, तो यह डर और भी बढ़ जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है क्योंकि वे समझ नहीं पा रहे कि क्या करें।
वन विभाग की सक्रियता
वन विभाग के वनपाल कुंवर गंझु ने इस मामले की जानकारी मिलने पर कहा कि टीम गठित कर जल्द ही ठोस उपाय किए जाएंगे। वनपाल ने ग्रामीणों को सुरक्षा उपायों के लिए सुझाव दिए हैं और कहा कि वे शाम के समय अकेले बाहर न निकलें। उनकी सलाह है कि कोई भी व्यक्ति शाम के समय तीन-चार लोगों के समूह में ही बाहर जाए, ताकि एक-दूसरे की सुरक्षा की जा सके।
इतिहास और जंगली जानवरों का आतंक
महुआडांड़ और इसके आसपास के इलाके हमेशा से ही वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। इस क्षेत्र में जंगली जानवरों का निवास और उनका समय-समय पर मानव इलाकों में आना एक आम बात रही है। हालांकि, हाल के वर्षों में इन हमलों में वृद्धि ने सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है। वन्यजीवों के लिए विशेष रूप से शिकार के मौसम के दौरान उनकी भूख और प्रवृत्तियों के कारण इन घटनाओं में इजाफा होता है।
ग्रामीणों की सलाह और सुरक्षा के उपाय
- समूह में बाहर जाएं: विशेष रूप से शाम के समय, समूह बनाकर ही बाहर निकलें।
- सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें: यदि संभव हो, तो रोशनी वाले उपकरणों का उपयोग करें ताकि अंधेरे में जंगली जानवरों को डराया जा सके।
- वन विभाग से संपर्क करें: किसी भी असामान्य गतिविधि या हमले की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।
सियारों के हमलों से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। वन विभाग के प्रयास और ग्रामीणों की सतर्कता से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। ग्रामीणों को चाहिए कि वे प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और अपने तथा दूसरों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं।
इस घटना से यह भी समझ आता है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हर किसी को एक-दूसरे की स्थिति को समझने की जरूरत है।
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