Maharashtra Human Trafficking Case: बांग्लादेश से लाई गई नाबालिग के साथ 200 से ज्यादा बार रेप, 12 एजेंट गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस और एनजीओ ने बांग्लादेश से लाई गई नाबालिग को मानव तस्करी और जबरन वेश्यावृत्ति से रेस्क्यू किया। 12 एजेंट गिरफ्तार, पीड़िता के साथ 200 से अधिक बार बलात्कार हुआ।
महाराष्ट्र के मानव तस्करी रोकथाम विभाग (Anti-Human Trafficking Unit) ने एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की मदद से एक नाबालिग लड़की को जबरन वेश्यावृत्ति के दलदल से बाहर निकाला है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह बच्ची बांग्लादेश से लाकर देश के कई हिस्सों में बेची और खरीदी गई थी। तीन महीनों में उसके साथ करीब 200 से अधिक बार बलात्कार किया गया।
परीक्षा में फेल होने के बाद भागी, बांग्लादेश से भारत तक पहुंची
पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने बयान दिया कि परीक्षा में फेल होने के बाद वह बांग्लादेश में अपने घर से भागी थी। उसे डर था कि घर लौटने पर उसके माता-पिता उसे पीटेंगे, मारेंगे या सख्त डांट लगाएंगे। इसी दौरान एक परिचित महिला ने उससे संपर्क किया और उसे कोलकाता लेकर आई।
कोलकाता में उसके फर्जी दस्तावेज बनवाए गए ताकि वह भारतीय नागरिक की तरह रह सके। इसके बाद उसे गुजरात के नडियाद भेजा गया, जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उसका बलात्कार किया।
अश्लील तस्वीरों से ब्लैकमेल, फिर वेश्यावृत्ति में धकेला
पहली बार शारीरिक शोषण के बाद आरोपियों ने पीड़िता की अश्लील तस्वीरें खींच लीं। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया और परिवार को भेजने की धमकी देकर उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया।
तीन महीनों में उसे गुजरात और महाराष्ट्र के कई शहरों में ले जाया गया और बार-बार बेचा गया। पीड़िता के मुताबिक, इस दौरान 200 से अधिक लोगों ने उसके साथ रेप किया।
मीरा भायंदर से नायगांव में पहुंचते ही हुई रेस्क्यू ऑपरेशन
जब आरोपियों ने पीड़िता को वसई-विरार इलाके के नायगांव में लाया, तभी पुलिस और एनजीओ को इस बारे में जानकारी मिली। पूरी योजना बनाकर पुलिस ने मौके पर छापा मारा और नाबालिग को सुरक्षित बाहर निकाला।
12 एजेंट गिरफ्तार, चार की तलाश जारी
सहायक पुलिस आयुक्त (क्राइम) मदन बल्लाल ने बताया कि शुरुआत में मानव तस्करी के आरोप में तीन एजेंट गिरफ्तार किए गए थे। आगे की जांच में और नाम सामने आए और कुल 12 एजेंट पकड़े गए, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। सभी गिरफ्तार आरोपी बांग्लादेश के रहने वाले हैं।
पुलिस ने खुलासा किया कि चार और एजेंट इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
पीड़िता के साथ मारपीट और यातना
पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि पीड़िता को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेला गया था। न केवल उसके साथ बार-बार बलात्कार हुआ, बल्कि उसे शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया गया। उसे खाने-पीने में भी दिक्कतें दी गईं और लगातार धमकाया जाता रहा ताकि वह भागने की कोशिश न करे।
पुलिस का लगातार एक्शन
पुलिस टीम ने बताया कि यह केस अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। बांग्लादेश से लड़कियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत लाना, फिर उन्हें यौन शोषण के लिए बेचना इस गैंग का मुख्य काम है।
पुलिस की एक विशेष टीम इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों को पकड़ने के लिए गुजरात, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के संपर्क सूत्रों पर काम कर रही है।
मानव तस्करी के बढ़ते मामले और चुनौतियां
विशेषज्ञों का कहना है कि गरीब और अशिक्षित परिवारों की लड़कियां अक्सर इस तरह के जाल में फंस जाती हैं। गरीबी, शिक्षा की कमी और पारिवारिक दबाव का फायदा उठाकर तस्कर उन्हें बहलाकर या फर्जी बहानों से दूसरे राज्यों या देशों में ले जाते हैं।
यह केस न केवल मानव तस्करी की भयावह सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि समय पर कार्रवाई से पीड़ितों को बचाया जा सकता है। हालांकि, पीड़िता को अब लंबे समय तक काउंसलिंग और पुनर्वास की जरूरत होगी, ताकि वह इस दर्दनाक अनुभव से बाहर निकल सके।
अगर आप चाहें तो मैं इस केस का "इन्फोग्राफिक फ्लोचार्ट" भी बना सकता हूँ जिसमें दिखेगा कि कैसे पीड़िता बांग्लादेश से भारत लाई गई, किन-किन शहरों में गई और पुलिस ने कब-कब क्या कार्रवाई की। इससे रिपोर्ट और विज़ुअल इम्पैक्टफुल बन जाएगी।
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