Kandra : कांड्रा में धर्म परिवर्तन,परिवार ने फिर से अपनाया सनातन धर्म, देखिए पूरी कहानी
सरायकेला जिले के कांड्रा में एक परिवार ने 17-18 साल बाद सनातन धर्म को फिर से अपनाया। जानें क्या था इसका कारण और कैसे हुआ यह बदलाव।
कांड्रा, सरायकेला: सरायकेला जिले के कांड्रा में एक ऐसा दिलचस्प मामला सामने आया है जिसमें एक परिवार ने 17-18 साल बाद फिर से सनातन धर्म को अपनाया। इस परिवार ने बुधवार को कांड्रा के हनुमान मंदिर में पूरे सनातन परंपरा के तहत शुद्धिकरण के बाद हिंदू धर्म को अपनाया।
अतीत की कहानी: एक कठिन मोड़
इस परिवार की कहानी उस समय की है जब वे करीब दो दशकों पहले सनातन धर्म के अनुयायी थे। लेकिन अचानक आए कठिन समय ने उन्हें एक नया रास्ता अपनाने के लिए मजबूर कर दिया। परिवार के एक सदस्य की तबियत खराब हो गई थी, और इलाज के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। इसी दौरान ईसाई मिशनरियों के संपर्क में आने के बाद, उनकी मदद से इलाज संभव हो पाया और बच्चे की तबियत सुधारने लगी। इलाज के बाद मिशनरी के आग्रह पर परिवार ने ईसाई धर्म को अपना लिया।
वापसी की पहल: सनातन धर्म की ओर लौटने का फैसला
हालांकि, समय के साथ परिवार ने महसूस किया कि उनकी पहचान और सांस्कृतिक जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं। परिवार के सभी सदस्य अब अपने पूर्वधर्म की ओर लौटने के लिए एकमत हो गए। बुधवार को कांड्रा के हनुमान मंदिर में आयोजित एक विशेष समारोह में पूरे परिवार का शुद्धिकरण किया गया और उन्हें सनातन धर्म में शामिल किया गया।
विश्व हिंदू परिषद का स्वागत
इस विशेष अवसर पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कोल्हान विभाग के संगठन मंत्री मिथिलेश महतो ने कहा, "सुबह का भूला शाम को यदि घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं। इस परिवार का सनातन संस्कृति की ओर लौटना बहुत अच्छा लग रहा है।" उन्होंने इस परिवार का स्वागत किया और उनके धर्म परिवर्तन को लेकर खुशी जाहिर की।
आयोजन में शामिल अन्य प्रमुख व्यक्ति
इस समारोह में VHP के जिलाध्यक्ष राजू चौधरी, मठ मंदिर संपर्क प्रमुख पूर्ण चंद्र बाबा, मातृशक्ति प्रांत सह प्रमुख अनीता शुक्ला, गौरी रजक, अंजना यादव सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता और समाजसेवी मौजूद रहे।
धार्मिक पहचान का महत्व
यह मामला धार्मिक पहचान और संस्कृति के महत्व को दर्शाता है। भारत में, जहाँ कई धर्मों का सह-अस्तित्व है, वहां परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखना और उन्हें पुनः अपनाना समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है।
इतिहास और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
भारत का धार्मिक इतिहास अत्यंत विविध है और विभिन्न धर्मों के बीच का संबंध भी जटिल रहा है। सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है, हजारों सालों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इस धर्म के अनुयायी अपनी परंपराओं, रिवाजों, और धार्मिक आस्थाओं को पूरी श्रद्धा के साथ मानते हैं। ऐसे में जब कोई परिवार अपनी जड़ों की ओर लौटता है, तो यह एक सांस्कृतिक पुनरावृत्ति और धर्म की गहरी समझ का संकेत है।
समाज के लिए संदेश
इस प्रकार के मामलों से यह संदेश मिलता है कि धर्म और आस्था व्यक्तिगत यात्रा है, जो समय और परिस्थितियों के अनुसार बदल सकती है। इस परिवार की कहानी यह दर्शाती है कि अगर कोई अपनी जड़ों की ओर लौटता है तो यह केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणादायक हो सकता है।
कांड्रा में इस परिवार की वापसी एक सशक्त संदेश है कि संस्कृति, परंपरा और धर्म की ओर लौटने का एक कदम, जीवन को नये अर्थ दे सकता है।
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