Kadma Suicide: काम न मिलने से परेशान दिव्यांग युवक ने फांसी लगाकर दी जान

जमशेदपुर के शास्त्री नगर में आर्थिक तंगी से जूझ रहे 28 वर्षीय दिव्यांग युवक सद्दाम ने पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। एक हाथ छोटा होने के कारण उसे काम नहीं मिल पा रहा था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

Oct 1, 2025 - 20:05
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Kadma Suicide: काम न मिलने से परेशान दिव्यांग युवक ने फांसी लगाकर दी जान
Kadma Suicide: काम न मिलने से परेशान दिव्यांग युवक ने फांसी लगाकर दी जान

जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र से बुधवार की दोपहर एक बेहद दर्दनाक और विचलित कर देने वाली खबर सामने आई है। शास्त्री नगर ब्लॉक नंबर दो में आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से त्रस्त एक दिव्यांग युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 28 वर्षीय इस युवक की पहचान सद्दाम के रूप में हुई है। यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, बल्कि उस सामाजिक उपेक्षा और सिस्टम की विफलता का चेहरा है, जहां एक दिव्यांग व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने का मौका भी नहीं मिल पाता।

जमशेदपुर, जिसे 'टाटा नगरी' और उद्योग का केंद्र कहा जाता है, वहां भी एक योग्य व्यक्ति को केवल शारीरिक अक्षमता के कारण काम न मिलना एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा करता है। सद्दाम की यह आत्महत्या समाज के माथे पर एक गहरा धब्बा है, जो यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने देश के नागरिकों, खासकर दिव्यांगों, को पर्याप्त अवसर और समर्थन दे पा रहे हैं?

काम न मिलने का गहरा तनाव

मृतक सद्दाम की सबसे बड़ी त्रासदी उसकी शारीरिक अक्षमता थी। बताया जाता है कि उनका एक हाथ जन्म से ही छोटा था, जिसके कारण उन्हें कहीं भी काम नहीं मिल पा रहा था। आज की भागदौड़ भरी और प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में, जहां सामान्य व्यक्ति को भी काम मिलना मुश्किल है, वहीं एक दिव्यांग के लिए जीवन यापन के साधन जुटाना लगभग असंभव हो जाता है।

पिछले कुछ दिनों से सद्दाम गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। बेरोजगारी और गरीबी के इसी गहरे तनाव ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया। बुधवार की दोपहर करीब ढाई बजे, उन्होंने अपने घर का कमरा अंदर से बंद किया और पंखे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह दर्दनाक कदम उठाने से पहले, बताया गया है कि सद्दाम ने बाजार से नई नायलॉन की रस्सी खरीदी थी, जो इस बात का संकेत है कि उन्होंने यह फैसला पूरी तरह से योजना बनाकर लिया था।

मां का इंतजार और भयावह सच

सद्दाम अपनी बूढ़ी मां के साथ रहते थे। बुधवार दोपहर जब उनकी मां ने उन्हें काफी देर तक नहीं देखा, तो उनकी खोजबीन शुरू की। मां ने देखा कि जिस कमरे में सद्दाम थे, उसका दरवाजा अंदर से बंद है। उन्होंने बार-बार दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

अनहोनी की आशंका से भयभीत होकर, उन्होंने पड़ोसियों को बुलाया। पड़ोसियों की मदद से जब कमरे का दरवाजा तोड़ा गया, तो अंदर का मंजर देखकर सभी के होश उड़ गए। सद्दाम का शव फंदे से लटका मिला। इस भयावह दृश्य ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया।

पुलिस कार्रवाई और सामाजिक सवाल

सूचना मिलते ही कदमा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को नीचे उतारा और पंचनामा तैयार करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आत्महत्या के कारणों की जांच शुरू कर दी है।

सद्दाम की यह मौत सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा सवाल है:

  • क्या हमारे समाज में दिव्यांगों के लिए रोजगार और सम्मान की कमी है?

  • सरकार की दिव्यांग कल्याण योजनाएं ऐसे जरूरतमंद लोगों तक क्यों नहीं पहुंच पातीं?

इस दर्दनाक घटना ने शास्त्री नगर समेत पूरे जमशेदपुर में शोक की लहर फैला दी है। सद्दाम की मां और परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि आर्थिक तंगी और सामाजिक उपेक्षा से जूझ रहे लोगों को केवल दया की नहीं, बल्कि समान अवसर और मजबूत सामाजिक समर्थन की आवश्यकता है।

क्या आपको लगता है कि दिव्यांगों के लिए विशेष रोजगार योजनाओं को और अधिक सख्त और अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।