Saraikela Blast: सरायकेला की खदान, सोना निकालने वाली कंपनी कैसे बन गई मौत बांटने वाली फैक्ट्री?
सरायकेला के गुंडा पंचायत में मनमोहन मिनरल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सोने की खदान चला रही है, लेकिन मजदूरों और ग्रामीणों के लिए यह खदान मौत का कुआं बन गई है। जानिए कैसे जहरीले रसायनों से फैल रहा है जहर, क्यों प्रशासन है खामोश?

झारखंड का सरायकेला जिला, जहां की ज़मीन के नीचे सोने का भंडार छिपा है, लेकिन इसी खजाने की खुदाई अब इलाके के मजदूरों और ग्रामीणों के लिए कहर बन गई है। चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के नीमडीह प्रखंड में स्थित मनमोहन मिनरल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बीते 8 सालों से सोने की खुदाई कर रही है, लेकिन इस कंपनी पर आरोप लग रहे हैं कि यह सिर्फ सोना नहीं निकाल रही, बल्कि मौत भी बांट रही है!
खदान में काम या मौत का खेल?
लावा सोना खदान में काम करने वाले मजदूरों की जिंदगी किसी मौत के कुएं से कम नहीं है। 200 से अधिक मजदूर यहां खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें न कोई सुरक्षा दी जा रही है और न ही कोई स्वास्थ्य सुविधाएं।
मजदूर सुधीर महतो बताते हैं कि कंपनी से कई बार स्वास्थ्य बीमा की मांग की गई, लेकिन हर बार इसे खारिज कर दिया गया। मजदूरों को दैनिक मजदूरी पर काम करना पड़ता है, और यदि वे किसी तरह के विरोध की हिम्मत दिखाते हैं, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है।
जहरीले रसायनों से मिट्टी और पानी में जहर!
यह सिर्फ मजदूरों की समस्या नहीं है। इस खदान में इस्तेमाल किए जा रहे हानिकारक रसायन अब पूरे इलाके के पर्यावरण को जहरीला बना रहे हैं।
- बारिश के दौरान खदान से निकलने वाला रासायनिक कचरा खेतों तक पहुंच रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है।
- भूजल जहरीला होने से इंसानों के साथ-साथ जानवरों की भी मौत हो रही है।
- ग्रामीणों का कहना है कि उनके मवेशी लगातार बीमार पड़ रहे हैं, खेती बर्बाद हो रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
ग्रामीणों की पुकार, सरकार क्यों है चुप?
गांव के लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सुरक्षा के नाम पर कंपनी के चारों ओर सख्त पहरा लगा दिया गया है, जिससे कोई बाहरी व्यक्ति वहां जाकर सच नहीं देख सकता।
इतिहास गवाह है, खदानों का ऐसा अंधेरा पहले भी देख चुका है झारखंड!
झारखंड में खदानों के नाम पर मजदूरों का शोषण कोई नया मामला नहीं है। धनबाद, बोकारो और जमशेदपुर जैसे इलाकों में पहले भी कोयला खदानों में मजदूरों के बुरे हालात देखने को मिले हैं। सरायकेला की सोना खदान भी उसी कड़ी में एक और काला अध्याय जोड़ रही है।
अब सवाल उठता है – इनकी सुध कौन लेगा?
- क्या सरकार इस मामले में कार्रवाई करेगी?
- क्या मजदूरों को सुरक्षा मिलेगी?
- क्या ग्रामीणों को जहर से मुक्ति मिलेगी?
ये सवाल अनसुलझे हैं, लेकिन जो साफ है, वो यह कि सरायकेला की यह सोने की खदान आसपास के लोगों के लिए जहरीली खदान बन चुकी है।
What's Your Reaction?






