Jorhair Meeting: टुसू परब के लिए तैयारियां, क्या खास होने जा रहा है इस बार?

जोहाइर में इस साल टुसू परब धूमधाम से मनाने की तैयारी शुरू। जानिए इस बार के कार्यक्रम की पूरी जानकारी और कैसे आयोजित होगी टुसू बिदाई सोभा यात्रा!

Nov 17, 2024 - 17:50
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Jorhair Meeting: टुसू परब के लिए तैयारियां, क्या खास होने जा रहा है इस बार?
Jorhair Meeting: टुसू परब के लिए तैयारियां, क्या खास होने जा रहा है इस बार?

17 नवम्बर, 2024: जोहाइर में इस वर्ष टुसू परब को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। रविवार, 17 नवम्बर 2024 को आकुस हुरलुंग महिला संयोजक समिति द्वारा एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता महिला संयोजक नन्दनी महतो ने की, और हुरलुंग स्थित आवासीय परिसर में यह बैठक आहुत की गई। बैठक में सर्वसहमति से यह निर्णय लिया गया कि इस बार टुसू परब को और भी धूमधाम से मनाया जाएगा।

क्या हैं इस वर्ष के कार्यक्रम?

इस वर्ष टुसू परब के आयोजन के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जो निश्चित रूप से इस पारंपरिक त्योहार को और भी खास बना देंगे। चलिए जानते हैं क्या-क्या कार्यक्रम तय किए गए हैं:

  1. अगहन संक्रांति पर टुसू थापना: 16 दिसंबर 2024 को अगहन संक्रांति के मौके पर हुरलुंग में कुल 11 टुसू थापना किए जाएंगे। यह एक विशेष और धार्मिक परंपरा है जो समुदाय के लोगों द्वारा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

  2. पुस संक्रांति पर टुसू बिदाई सोभा यात्रा: 14 जनवरी 2025 को पुस संक्रांति पर टुसू बिदाई सोभा यात्रा हुरलुंग से शुरू होकर लुपुंगडीह टुसू नदी घाट पर समापन किया जाएगा। इस यात्रा में पारंपरिक वाद्य यंत्रों और 11 चौउड़ल टुसू की व्यवस्था भी की जाएगी, जो इस यात्रा को और भी आकर्षक बनाएगी।

  3. वालंटियर की नियुक्ति: इस बार टुसू परब के आयोजन में कुल 101 वालंटियर नियुक्त किए जाएंगे, ताकि कार्यक्रम को सुचारू रूप से और व्यवस्थित तरीके से चलाया जा सके।

  4. सभी गांववासियों का निमंत्रण: बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हुरलुंग गांव के आसपास के सभी गांवों में बैठक कर गांववासियों को टुसू बिदाई सोभा यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। यह कदम आयोजन को और भी व्यापक बनाने के लिए उठाया गया है।

इतिहास और परंपरा

टुसू परब झारखंड और बिहार के आदिवासी समुदायों का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे विशेष रूप से कुड़मि समाज के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। टुसू परब की शुरुआत मुख्य रूप से कृषि से जुड़ी होती है, जो फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति की पूजा और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक गीत, नृत्य और विशेष प्रकार की पूजा की जाती है।

बैठक में उपस्थित लोग

बैठक में आदिबासी कुड़मि समाज जिला पूर्वी सिंहभूम के सह संयोजक प्रकाश महतो, केंद्रीय सह सचिव रामविलास महतो, आजीवन सदस्य उज्जवल महतो, फुदेन महतो, सुजित महतो, जुगल मुंडा, जगदिश महतो, समीर महतो, दिनेश महतो, अंजना महतो, ममता महतो, दमनती महतो, गुरुबारी महतो, लुलु महतो, बासंती महतो, गीता महतो और अन्य कई सदस्य उपस्थित थे। सभी ने इस साल के आयोजन को लेकर अपनी राय दी और कार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोग की बात की।

क्यों है टुसू परब खास?

यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। टुसू परब का आयोजन हर साल बड़े धूमधाम से किया जाता है, और इस साल भी इसे और भी भव्य तरीके से मनाने की योजना बनाई गई है। यह पर्व सभी समुदायों को जोड़ने का काम करता है और हर व्यक्ति को एक साथ मिलकर इस त्योहार को मनाने का अवसर प्रदान करता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।