जमशेदपुर, 21 नवंबर 2024: जमशेदपुर के गोलमुरी बाजार स्थित शर्मा फर्निचर पर हुई फायरिंग के मामले में पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार कर बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है। इस घटना ने शहर के व्यापारियों के बीच डर और दहशत का माहौल पैदा कर दिया था।
गिरफ्तार आरोपियों में बर्मामाइंस ईस्ट प्लांट बस्ती निवासी जे. राहुल और बर्मामाइंस रुइया पहाड़ निवासी राहुल कुमार सिंह शामिल हैं।
घटनाओं का सिलसिला: कब और कैसे हुआ हमला?
- 3 अक्टूबर 2024: गोलमुरी बाजार स्थित शर्मा फर्निचर पर फायरिंग।
- 9 सितंबर 2024: एचबीसीएसई कोचिंग सेंटर बिल्डिंग पर गोलीबारी।
पुलिस जांच में सामने आया कि यह दोनों घटनाएं सोनू सिंह और प्रकाश मिश्रा के गिरोह द्वारा सुनियोजित तरीके से अंजाम दी गई थीं।
गिरोह का कनेक्शन: व्यापारियों को बनाया निशाना
जांच में पुलिस ने पाया कि सोनू सिंह और प्रकाश मिश्रा जैसे अपराधियों ने नयन सिंह के नाम से एक नया गिरोह तैयार किया है।
इस गिरोह का मकसद है:
- जमशेदपुर के व्यापारियों को व्हाट्सएप और वर्चुअल कॉल के जरिए धमकी देना।
- रंगदारी की मांग करना।
- पैसे न देने पर व्यापारिक स्थलों पर फायरिंग कर डर का माहौल बनाना।
पुलिस जांच में कैसे पकड़े गए आरोपी?
20 नवंबर को, पुलिस ने तकनीकी जांच के आधार पर दो युवकों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे सोनू सिंह के कहने पर व्यापारियों की गतिविधियों की रेकी करते थे।
पुलिस बयान:
"आरोपी व्यापारियों की जानकारी सोनू सिंह को व्हाट्सएप और वर्चुअल कॉल के जरिए भेजते थे। उन्होंने दोनों फायरिंग की घटनाओं में शामिल होने की बात स्वीकार की है।"
सोनू सिंह और प्रकाश मिश्रा: अपराध की पृष्ठभूमि
- सोनू सिंह: उपेंद्र सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता।
- प्रकाश मिश्रा: हीरा हत्याकांड में सजायाफ्ता।
दोनों अपराधी जेल में रहते हुए भी गिरोह संचालन कर रहे थे। गिरोह व्यापारियों में खौफ फैलाने और रंगदारी वसूलने के लिए फायरिंग जैसी वारदातों को अंजाम देता था।
क्या है पुलिस का अगला कदम?
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया है।
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह जमशेदपुर में संगठित अपराध को बढ़ावा दे रहा था।
अब पुलिस का फोकस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करना है।
जमशेदपुर में अपराध और इसका इतिहास
जमशेदपुर, जो कभी अपने उद्योग और शांतिपूर्ण माहौल के लिए जाना जाता था, पिछले कुछ वर्षों में संगठित अपराध का गढ़ बनता जा रहा है।
- 2000 के दशक: छोटी-मोटी रंगदारी और चोरी की घटनाएं।
- 2010 के बाद: गिरोह और हथियारबंद अपराधियों की गतिविधियां तेज।
- 2024: व्हाट्सएप और वर्चुअल कॉल के जरिए अपराधों को अंजाम देने का नया चलन।
पुलिस की अपील
पुलिस ने व्यापारियों और आम नागरिकों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत देने की अपील की है।
साथ ही, व्यापारियों को सलाह दी गई है कि वे गिरोह की धमकियों से डरें नहीं और किसी भी संदिग्ध कॉल की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
क्या शहर में लौटेगी शांति?
पुलिस की हालिया कार्रवाई ने व्यापारियों में थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन यह देखना बाकी है कि गिरोह के बाकी सदस्यों पर पुलिस कब शिकंजा कसती है।
जमशेदपुर के लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन संगठित अपराध के खिलाफ और सख्त कदम उठाएगा।