Bhagwat Katha: भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, भगवान के गुणों की महिमा पर चर्चा

जोगार्स पार्क गोलमुरी में भागवत कथा का आयोजन हुआ, जिसमें भगवान के गुणों की महिमा और उनकी भक्ति पर चर्चा की गई। पंडित पवन कृष्ण गौतम ने दिए महत्वपूर्ण संदेश।

Dec 11, 2024 - 19:47
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Bhagwat Katha: भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, भगवान के गुणों की महिमा पर चर्चा
Bhagwat Katha: भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, भगवान के गुणों की महिमा पर चर्चा

11 दिसंबर 2024: जोगार्स पार्क गोलमुरी स्थित विजय नगर मैदान में 11 दिसंबर 2024 को भागवत कथा का आयोजन हुआ, जो श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अवसर बन गया। इस कथा का आयोजन श्री कुसुम मधुबन बिहारी गौ सेवा संस्थान द्वारा किया गया था, और इसे पंडित पवन कृष्ण गौतम ने संबोधित किया। कथा के दूसरे दिन पंडित पवन कृष्ण गौतम ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान के गुणों के महत्व की ओर इंगीत करते हुए कहा कि सत्य का महत्व तब तक है जब तक वह पूरे ब्रह्मांड में कुरीति और अधर्म का नाश करता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि भगवान के गुणों का श्रवण ही असली भक्ति है।

यक्ष के प्रश्न और सूत महराज का उत्तर

कथा के दौरान, पंडित पवन कृष्ण गौतम ने यक्ष के एक महत्वपूर्ण प्रश्न का उल्लेख किया, जिसमें यक्ष ने पूछा कि आखिर मानव का धर्म क्या है और भगवान के कितने अवतार हुए हैं। इस पर सूत महराज ने जवाब दिया कि भागवत कथा में अमृत का रस है। उन्होंने कहा, “भागवत कथा को सुनने के लिए नहीं, बल्कि उसे पीने के लिए आना चाहिए, ताकि जीवन में आनंद और शांति आए।”

गंगा स्नान और भागवत कथा का महत्व

सूत महराज ने यह भी बताया कि गंगा में स्नान करने से पाप नहीं धुलते; बल्कि भागवत कथा में रसपान करने से पाप मिटते हैं। उन्होंने कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के कौरव-पांडव युद्ध में पांडवों को विजय दिलाने का भी उल्लेख किया। इसके बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका लौटकर उतरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म कराया। यह घटना भी भागवत कथा में विस्तार से बताई गई।

परीक्षित का राज्याभिषेक और भगवान की भक्ति

कथा में आगे बताया गया कि परीक्षित के बड़े होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें राज्य सौंपने का आशीर्वाद दिया, जिसे पांडवों ने स्वीकार किया। इसके बाद, परीक्षित ने अपने पुत्र को गद्दी देकर जंगल में भगवान की भक्ति में लग गए। पंडित पवन कृष्ण गौतम ने कहा कि जो व्यक्ति भगवान की भक्ति में डूबा रहता है, वह किसी भी विपत्ति से अछूता रहता है। उन्होंने कहा कि आज के दिन, जो मोक्ष एकादशी के रूप में मनाया जा रहा है, वह एक विशेष अवसर है।

श्रद्धालुओं का उत्साह और यजमान की अपील

कथा श्रवण के इस कार्यक्रम में मुख्य यजमान अप्पू तिवारी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे इस दिव्य कथा में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इसके रस का आनंद लें। उन्होंने बताया कि भागवत कथा का श्रवण करने से जीवन में सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

पारंपरिक महत्व और श्रद्धा का संचार

भगवद कथा का आयोजन भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जब व्यक्ति अपने आत्मिक और मानसिक संतुलन को पुनर्स्थापित कर सकता है। इस दिन, कथा का श्रवण करना और भगवान के गुणों का याद करना विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।