Jharkhand Tragedy : नदी किनारे वृद्ध की दर्दनाक मौत, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
लोहरदगा जिले के सेन्हा थाना क्षेत्र में बरही भोक्ता नदी में एक वृद्ध की मौत से हड़कंप। नदी किनारे फिसलकर गहरे पानी में डूबे बुजुर्ग, परिजनों का बुरा हाल। ग्रामीणों ने आर्थिक सहायता की उठाई मांग।

कभी–कभी ज़िंदगी में छोटे-से हादसे इतने बड़े दुख में बदल जाते हैं कि पूरा इलाका सदमे में आ जाता है। ऐसा ही एक दर्दनाक मंजर बुधवार को झारखंड के लोहरदगा जिले के सेन्हा थाना क्षेत्र में देखने को मिला, जब नदी किनारे एक 60 वर्षीय वृद्ध की अचानक मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बरही केरा टोली निवासी धूडी उरांव सुबह किसी निजी काम से बरही भोक्ता नदी के किनारे गए थे। बरसात के बाद नदी का बहाव तेज़ था और किनारे पर मिट्टी फिसलन भरी हो गई थी। इसी दौरान उनका पैर फिसल गया और देखते-ही-देखते वह नदी के गहरे पानी में समा गए।
ग्रामीणों ने तुरंत शोर मचाया और बचाने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। काफी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने शव को बाहर निकाला।
मौके पर पहुंची पुलिस
घटना की खबर मिलते ही सेन्हा थाना पुलिस के उपनिरीक्षक जमशेद खान दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए लोहरदगा सदर अस्पताल भेजा। थाना प्रभारी वरिश हुसैन ने बताया कि यह मामला पूरी तरह से दुर्घटनात्मक मृत्यु प्रतीत हो रहा है और आगे की कार्रवाई विधिसम्मत की जा रही है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
अचानक हुई इस दुर्घटना ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं गांव के लोग भी इस घटना को लेकर बेहद दुखी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नदी किनारे सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम न होने के कारण अक्सर इस तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
मुआवजे की उठी मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि मृतक के परिजनों को त्वरित आर्थिक सहायता दी जाए। इस बीच सेन्हा के सीओ पंकज कुमार भगत ने बयान जारी करते हुए कहा कि मृतक परिवार को सरकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा राशि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
झारखंड में डूबने की घटनाओं का इतिहास
झारखंड के गांव–कस्बों में नदियों और तालाबों के किनारे दुर्घटनाओं का इतिहास पुराना रहा है।
-
2019 में लोहरदगा जिले के ही कुरसेरा गांव में दो बच्चों की डूबकर मौत हो गई थी।
-
2021 में गुमला में 3 लोग नदी पार करते वक्त बह गए थे।
-
2023 में चतरा जिले में मछली पकड़ते समय एक युवक की डूबकर मौत हुई थी।
हर बार प्रशासन सुरक्षा उपायों की बात करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस-के-तस रहते हैं। बरसात के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ना, किनारों पर फिसलन और चेतावनी बोर्ड का न होना बड़ी वजहें बन जाती हैं।
ग्रामीणों की नाराज़गी
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि भोक्ता नदी के किनारे रेलिंग या चेतावनी बोर्ड लगना चाहिए, ताकि लोग सतर्क रहें। कई बार बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह नदी बेहद खतरनाक साबित हुई है।
सवाल और चेतावनी
यह हादसा सिर्फ एक परिवार के लिए त्रासदी नहीं है, बल्कि एक सवाल भी है—
क्या झारखंड के ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा इंतज़ाम केवल हादसे के बाद ही याद आते हैं?
क्या प्रशासन को नदियों के किनारे सुरक्षा चेतावनियों को अनिवार्य नहीं करना चाहिए?
धूडी उरांव की मौत ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है। परिजनों को अब सरकार की ओर से आर्थिक मुआवजे का इंतज़ार है। मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, या फिर हर बार किसी की जान जाने के बाद ही कार्रवाई शुरू होगी?
What's Your Reaction?






