Jharkhand Rape Case : कोर्ट का बड़ा फैसला! नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 21 साल की सजा
झारखंड के मंझारी में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने आरोपी को 21 साल की सजा सुनाई। जानिए कैसे सामने आया मामला और पुलिस ने कैसे जुटाए सबूत।

झारखंड के मंझारी इलाके में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत ने आरोपी गुल्शन आल्डा को दोषी ठहराते हुए 21 साल की कठोर सजा और ₹25 हजार का जुर्माना लगाया। इस सजा के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।
कैसे सामने आया मामला?
20 फरवरी 2023 को पीड़िता ने मंझारी थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया कि आरोपी ने उसे बहला-फुसलाकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। जैसे ही मामला पुलिस के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्काल जांच शुरू की और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने कैसे जुटाए सबूत?
झारखंड पुलिस ने इस मामले में डीएनए टेस्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट, मेडिकल जांच और गवाहों के बयान को अदालत में पेश किया। मजबूत सबूतों और गवाहों की गवाही के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया।
इतिहास में ऐसा पहला मामला?
झारखंड में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत कई मामलों में सख्त सजा दी जा चुकी है। हालांकि, इस केस में पुलिस की मजबूत जांच और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण अदालत ने दोषी को 21 साल की कठोर सजा सुनाई, जो राज्य में अब तक की कड़ी सजा में से एक मानी जा रही है।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद पूरे मंझारी इलाके में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे न्याय की जीत बताया, तो कुछ ने कानून को और कड़ा करने की मांग उठाई।
क्या यह सजा और कड़ी हो सकती थी?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मामला और गंभीर होता, तो आजीवन कारावास या फांसी की सजा भी संभव थी। हालांकि, 21 साल की यह सजा भी एक कड़ा संदेश देती है कि दुष्कर्म जैसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
झारखंड में बढ़ते ऐसे अपराध, कब लगेगी लगाम?
झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, पॉक्सो एक्ट और फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत तेजी से हो रही सुनवाई अपराधियों में डर पैदा कर रही है।
झारखंड कोर्ट का यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस तरह के कड़े फैसलों से ऐसे अपराधों में कमी आएगी या फिर सरकार को और सख्त कानूनों की जरूरत पड़ेगी।
आपकी क्या राय है? क्या 21 साल की सजा ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त है? हमें कमेंट में बताएं!
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