चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज ने बनाई दूरी

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी है। जानिए क्या है इसके पीछे की वजह।

Sep 3, 2024 - 17:29
Sep 3, 2024 - 17:37
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चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज ने बनाई दूरी
चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज ने बनाई दूरी

जमशेदपुर, 3 सितंबर 2024: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड भक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद आदिवासी समाज ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी है। आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि उन्हें चंपई सोरेन से कोई बैर नहीं है, लेकिन बीजेपी की नीतियों को लेकर वे सहज नहीं हैं। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने अपने एक बयान में कहा कि आदिवासी समाज के लोग किसी भी हालत में बीजेपी को वोट नहीं देंगे।

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पप्पू ने बताया कि चंपई सोरेन का आदिवासी समाज में काफी सम्मान था। उनके साथ समाज के लोग मजबूती से खड़े रहते थे। लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद अब स्थिति बदल गई है। आदिवासी समाज के लोग बीजेपी की नीतियों और उसके नेतृत्व को लेकर चिंतित हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी समाज के लोग राजनीतिक रूप से अब काफी जागरूक हो गए हैं। उनका मानना है कि अगर चंपई सोरेन ने कोई नया संगठन बनाया होता या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा होता, तो उन्हें आदिवासी समाज का समर्थन मिलता। लेकिन बीजेपी में शामिल होने का निर्णय आदिवासी समाज के लोगों को रास नहीं आया।

बीते लोकसभा चुनावों में भी यही देखा गया कि सभी आरक्षित सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। आदिवासी समाज के कई दिग्गज नेता बीजेपी के साथ होने के बावजूद आदिवासी वोट हासिल करने में नाकाम रहे। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से सबसे बड़ा कारण आदिवासी समाज का बीजेपी की नीतियों और चाल-चरित्र के प्रति असहमति है।

अब हालात यह हैं कि आदिवासी नेता भी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने से हिचकिचा रहे हैं। चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के पीछे क्या दबाव था, यह भी ग्रामीण क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का मानना है कि बीजेपी ने ईडी और सीबीआई का भय दिखाकर दूसरे दलों को कमजोर करने की कोशिश की है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा।

इस तरह, चंपई सोरेन का बीजेपी में शामिल होना न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए बल्कि आदिवासी समाज के समर्थन के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।