Jamshedpur Inspection: 18 करोड़ की सड़क पर खड़ा सवाल, क्या वाकई मिटेगी सालों की परेशानी?

जमशेदपुर के सरजामदा में 18 करोड़ की लागत से बन रही सड़क का विधायक मंगल कालिंदी ने निरीक्षण किया। वर्षों की मांग के बाद स्वीकृत हुई इस सड़क से लोगों को बड़ी राहत की उम्मीद है।

Apr 13, 2025 - 20:33
 0
Jamshedpur Inspection: 18 करोड़ की सड़क पर खड़ा सवाल, क्या वाकई मिटेगी सालों की परेशानी?
Jamshedpur Inspection: 18 करोड़ की सड़क पर खड़ा सवाल, क्या वाकई मिटेगी सालों की परेशानी?

जमशेदपुर के लोगों के लिए रविवार की सुबह एक उम्मीद की किरण लेकर आई।
जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक मंगल कालिंदी ने सरजामदा से गोविंदपुर रेलवे फाटक तक बनने वाली बहुप्रतीक्षित सड़क निर्माण का निरीक्षण किया।
यह कोई मामूली सड़क नहीं—यह वो राह है, जिसका सपना लोग पिछले दो दशकों से देख रहे थे।

18 करोड़ की लागत, लेकिन क्या होगा वाकई बदलाव?

इस सड़क परियोजना की लागत है 18 करोड़ 41 लाख रुपए, जिसे मंगोतिया कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा है।
विधायक ने खुद बताया कि वे इस योजना को विधानसभा से लेकर मुख्यमंत्री तक ले गए थे।
लगातार पैरवी के बाद जाकर यह परियोजना मंजूरी तक पहुंची है।

पर जनता का सवाल साफ है—क्या अब वाकई उनकी दिक्कतें खत्म होंगी?

कहां से कहां तक बन रही है ये सड़क?

यह सड़क खासमहल चौक से शुरू होकर परसुडीह, शंकरपुर, सरजामदा, बारीगोड़ा, राहरगोड़ा, ग़दड़ा से होती हुई गोविंदपुर रेलवे फाटक तक जाएगी।
ये इलाके अब तक टूटी फूटी सड़कों और धूल के गुबार से जूझते आए हैं।
बारिश हो या गर्मी—चलना मुश्किल हो जाता है।

स्थानीय निवासी बताते हैं, "बच्चों को स्कूल ले जाना हो या मरीज को अस्पताल—हर कदम तकलीफ से भरा होता है।"
अब जबकि 18 करोड़ की सड़क बन रही है, तो लोगों को उम्मीद है कि इस बार मामला सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं रहेगा।

विधायक का निरीक्षण और निर्देश

विधायक मंगल कालिंदी ने निरीक्षण के दौरान अधिकारियों और ठेकेदारों को गुणवत्ता से कोई समझौता न करने का सख्त निर्देश दिया।
उन्होंने कहा,
"ये सड़क जनता की मांग पर बन रही है। मैं खुद इसकी मॉनिटरिंग करूंगा। जो भी खामियां मिलेंगी, उस पर तुरंत कार्रवाई होगी।"

इतिहास: ये सड़क क्यों थी इतने सालों से अधूरी?

अगर पीछे जाएं, तो यह इलाका विकास की दौड़ में हमेशा पिछड़ता रहा है।
पिछले 15 वर्षों से यहां के लोग एक पक्की और टिकाऊ सड़क की मांग कर रहे थे।
सरकारें आईं और गईं, लेकिन यह इलाका हर बार वादों में ही अटक गया।

एक बुजुर्ग स्थानीय निवासी कहते हैं,
"हमने कई बार वोट दिया, धरना किया, आवेदन भेजा... लेकिन सड़क कभी नहीं बनी। अब अगर ये बन रही है, तो देखना है कि कितनी टिकती है।"

क्या है जनता की राय?

लोगों में आशा तो है, लेकिन साथ ही डर भी—कहीं ये भी बाकी अधूरी परियोजनाओं की तरह 'शुरू होकर अधूरी न रह जाए'
स्थानीय व्यवसायी राजेश ठाकुर कहते हैं,
"अगर ये सड़क सही से बन जाए तो ट्रैफिक भी घटेगा और धंधा भी सुधरेगा। लेकिन हम पहले भी धोखा खा चुके हैं। इस बार सबकी नज़र इसी पर है।"

निर्माण की नींव में बसी है विश्वास की उम्मीद

यह सड़क केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि लोगों के धैर्य और उम्मीद का प्रतीक बन गई है।
अगर यह परियोजना सही समय पर और उच्च गुणवत्ता में पूरी हो जाती है, तो यह सिर्फ रास्ता नहीं खोलेगी—बल्कि विकास के द्वार भी खोल देगी।

अब देखना ये है कि क्या ये निर्माण वाकई अपने वादों पर खरा उतरता है, या फिर जनता एक बार फिर उम्मीदों की धूल में गुम हो जाएगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।