Jamshedpur Protest: जमशेदपुर में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ विशाल प्रदर्शन, उठाई सुरक्षा की मांग
जमशेदपुर में सर्व सनातन समाज के बैनर तले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में सैकड़ों लोगों ने साकची से उपायुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च किया। जानें, क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें।
जमशेदपुर: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उनके धार्मिक स्थलों पर हमलों के विरोध में मंगलवार को जमशेदपुर की सड़कों पर गुस्सा नजर आया। सर्व सनातन समाज के बैनर तले सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने साकची के सुभाष मैदान से उपायुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च किया। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जोरदार मांग की।
हाथों में बैनर और तख्तियां लिए प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, जिन पर लिखा था:
- "हिंदू विरोधी अत्याचार नहीं सहेंगे।"
- "बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा करो।"
बांग्लादेश में हिंसा का बढ़ता इतिहास: क्यों फूटा गुस्सा?
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।
- 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के समय से ही वहां के हिंदू अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
- पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक स्थलों पर हमले, मंदिरों को क्षतिग्रस्त करना, और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में तेजी आई है।
- कुमिल्ला हिंसा (2021) जैसे मामले ने बांग्लादेश में हिंदू विरोधी माहौल को और उजागर किया।
इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा की है। जमशेदपुर के प्रदर्शनकारी इसी श्रृंखला की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
प्रदर्शन का उद्देश्य: सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह प्रदर्शन एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने मांग की कि:
- बांग्लादेश सरकार हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए।
- हिंदुओं को उनके धार्मिक अधिकार और स्वतंत्रता दी जाए।
- हमलावरों को कठोर सजा मिले और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
सर्व सनातन समाज के एक प्रतिनिधि ने कहा, "जब तक बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा रुक नहीं जाती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"
जमशेदपुर की सड़कों पर दिखी एकजुटता
प्रदर्शन में विभिन्न हिंदू संगठनों के सैकड़ों लोग शामिल हुए। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से साकची से उपायुक्त कार्यालय तक मार्च निकाला।
- प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की गई।
- कई युवाओं और महिलाओं ने भी प्रदर्शन में भाग लिया, जिससे यह आंदोलन और व्यापक हो गया।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की मांग
प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी हस्तक्षेप की मांग की।
- भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की गई।
प्रदर्शन के दौरान एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "हमारी मांग केवल सुरक्षा की नहीं, बल्कि न्याय की भी है।"
आंदोलन की भविष्य की योजना
प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया कि यह आंदोलन यहीं खत्म नहीं होगा।
- आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनजागरण के लिए अभियान चलाया जाएगा।
यह प्रदर्शन केवल जमशेदपुर तक सीमित नहीं है। अन्य राज्यों के हिंदू संगठन भी इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं।
क्या बदल पाएगा यह आंदोलन?
जमशेदपुर का यह प्रदर्शन सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एकजुटता और सामाजिक न्याय की लड़ाई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह आंदोलन बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव ला पाता है।
जब तक हिंसा और अत्याचार के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक यह आवाज उठती रहेगी। यह प्रदर्शन भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए एक चेतावनी है कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार हर किसी का मूल अधिकार है।
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