Jamshedpur Tragedy: झंडा छू गया हाईटेंशन तार, 5 राम भक्त झुलसे, एक की हालत नाज़ुक!
जमशेदपुर के गोविंदपुर में महावीर झंडा विसर्जन जुलूस के दौरान हाईटेंशन तार की चपेट में आने से 5 राम भक्त झुलस गए। घटना के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई।

जमशेदपुर, झारखंड – एक धार्मिक उल्लास के बीच मंजर अचानक मातम में बदल गया जब महावीर झंडा विसर्जन जुलूस के दौरान हाईटेंशन तार ने पांच श्रद्धालुओं की ज़िंदगी को जख्मी कर डाला।
यह हादसा जमशेदपुर के गोविंदपुर थाना क्षेत्र स्थित यशोदा नगर में घटा, जहां शारदा राम बजरंग अखाड़ा का जुलूस अपने चरम पर था। रंग-बिरंगे झंडों, डोल-नगाड़ों और जयकारों के बीच जब महावीर झंडा उठाया गया, तभी वह गलती से हाईटेंशन तार से टकरा गया।
झंडा जैसे ही छूटा करंट, ज़मीन पर गिरे भक्त
झंडे में जैसे ही करंट दौड़ा, राम भक्त धड़ाम से ज़मीन पर गिरने लगे। चारों ओर चीख-पुकार मच गई, जुलूस रुक गया और सैकड़ों लोगों की भीड़ सकते में आ गई।
झुलसे श्रद्धालुओं की पहचान इस प्रकार हुई है:
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विजय कुमार दे
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विजय कुमार
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शमी कुमार प्रसाद
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संजय कुमार सिंह
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प्रदीप वर्मा
सभी को आनन-फानन में टाटा मोटर्स अस्पताल ले जाया गया। जहां से एक व्यक्ति की हालत गंभीर होने पर टाटा मुख्य अस्पताल रेफर कर दिया गया।
इतिहास में पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे
भारत में धार्मिक जुलूसों के दौरान ऐसे हादसे पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं।
2019 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में एक दुर्गा विसर्जन जुलूस में ऐसा ही हादसा हुआ था, जिसमें 2 लोग हाईटेंशन तार से झुलस गए थे।
हाईटेंशन तारों की ऊंचाई, धार्मिक भावनाओं की उफान और सुरक्षा मानकों की कमी, यह कॉम्बिनेशन हमेशा जानलेवा साबित होता रहा है।
स्थानीय प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे
घटना की खबर मिलते ही जिला परिषद सदस्य डॉ. परितोष तुरंत मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल पहुंचकर घायलों की स्थिति की जानकारी ली और प्रशासन से सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल खड़े किए।
क्या कहती हैं सुरक्षा गाइडलाइंस?
धार्मिक जुलूसों के दौरान झंडों या रथों की ऊंचाई को लेकर स्थानीय प्रशासन की तरफ से अक्सर निर्देश जारी किए जाते हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि न तो आयोजक इन दिशानिर्देशों को गंभीरता से लेते हैं और न ही प्रशासन इन पर सख्ती करता है।
इस बार भी क्या ऐसा ही कुछ हुआ? या फिर जुलूस में शामिल लोगों को खतरे का अंदाजा नहीं था? यह जांच का विषय है।
भक्ति में भाव, पर सुरक्षा भी ज़रूरी
महावीर झंडा विसर्जन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि झारखंड और बिहार में एक सांस्कृतिक उत्सव की तरह मनाया जाता है।
बजरंग अखाड़ों की झंडा प्रतियोगिताएं, विशाल झांकियां और जयकारों के साथ यह कार्यक्रम सैकड़ों वर्षों की परंपरा को दर्शाते हैं।
लेकिन जब उत्सव जानलेवा हो जाए, तो सवाल उठते हैं – क्या भक्ति के साथ सुरक्षा को जोड़ना अब ज़रूरी नहीं हो गया है?
अब आगे क्या?
घटना के बाद प्रशासन ने तुरंत जांच शुरू कर दी है।
हालांकि अभी तक किसी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन बिजली विभाग और आयोजन समिति की लापरवाही की बात सामने आने लगी है।
क्या झुलसे भक्तों को मिलेगा मुआवज़ा?
क्या प्रशासन आगे से ऐसे हादसों से बचाव के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?
यह आने वाले दिनों में साफ़ हो पाएगा।
अंत में एक सवाल – त्योहारों में जान से खेलने की कीमत कौन चुकाएगा?
इस हादसे ने एक बार फिर से दिखा दिया कि हमारे धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा का स्तर अब भी बेहद कमज़ोर है।
जब तक आयोजक, पुलिस और आम लोग सामूहिक रूप से सतर्क नहीं होंगे, तब तक भक्ति के रंगों में हादसों का काला धब्बा लगा ही रहेगा।
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