Barari Blasting : 100 साल पुराने शिव मंदिर की छत टूटी, कोलियरी प्रबंधक बंधक

बरारी कोलियरी में भारी ब्लास्टिंग से 100 साल पुराने शिव मंदिर की छत गिरी, आक्रोशित ग्रामीणों ने कोलियरी प्रबंधक और माइनिंग सरदार को 6 घंटे तक बनाया बंधक, सुरक्षा और मरम्मत को लेकर ग्रामीणों की मांगें तेज़।

May 7, 2025 - 09:16
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Barari Blasting : 100 साल पुराने शिव मंदिर की छत टूटी, कोलियरी प्रबंधक बंधक
Barari Blasting : 100 साल पुराने शिव मंदिर की छत टूटी, कोलियरी प्रबंधक बंधक

Barari Blasting की वजह से मंगलवार को बरारी बागडिगी बस्ती के पास स्थित 100 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर की छत का प्लास्टर (सीलिंग) गिर गया। घटना ने पूरे गांव में हड़कंप मचा दिया और गुस्साए ग्रामीणों ने BCCL कोलियरी के प्रबंधक शांतनु शील और माइनिंग सरदार सुरजीत राम को बंधक बना लिया। यह बंधक संकट करीब छह घंटे तक चला, जब तक की कोलियरी प्रबंधन की ओर से उच्च अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे।

ग्रामीणों का आरोप है कि मंगलवार दोपहर 3:30 बजे भारी ब्लास्टिंग की गई, जिससे न सिर्फ मंदिर की छत का प्लास्टर गिरा बल्कि आसपास के घरों में भी तेज कंपन हुआ। घबराए ग्रामीण घरों से बाहर निकल आए। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि यह शिव मंदिर 100 वर्षों से भी अधिक पुराना है, जहां पर ग्रामीण पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे हैं।

इतिहास भी कर रहा है पुकार
धनबाद कोलफील्ड्स का इतिहास खनन से जुड़ा रहा है, लेकिन इन खनन परियोजनाओं के चलते कई ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों को खतरा पैदा हो गया है। बरारी की यह घटना इसका ताज़ा उदाहरण है। शिव मंदिर, जिसे ग्रामीण अपनी आस्था और परंपरा का प्रतीक मानते हैं, उस पर तकनीकी लापरवाही की गूंज अब प्रशासन तक पहुंच चुकी है।

पुलिस और प्रशासन की लापरवाही?
घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों ने जोड़ापोखर पुलिस और बरारी कोलियरी प्रबंधन को सूचना दी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पुलिस ने मौके पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा। जब शाम 4:30 बजे कोलियरी प्रबंधक और माइनिंग सरदार जांच के लिए आए, तब तक ग्रामीणों का गुस्सा चरम पर पहुंच चुका था और दोनों अधिकारियों को बंधक बना लिया गया।

लिखित आश्वासन के बिना नहीं माने ग्रामीण
रात करीब आठ बजे लोदना एरिया के एजीएम परवेज़ आलम मौके पर पहुंचे और घंटों तक ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने मंदिर की मरम्मत कराने का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीणों की मांग थी कि 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की ब्लास्टिंग नहीं होनी चाहिए — और यह आश्वासन उन्हें लिखित में चाहिए था।

रात 10:30 बजे छोड़े गए अधिकारी
लगातार वार्ता के बाद ग्रामीणों ने बुधवार को प्रबंधन से लिखित समझौते की शर्त पर अधिकारियों को रिहा किया। रात साढ़े 10 बजे के करीब प्रबंधक और माइनिंग सरदार को छोड़ा गया।

प्रबंधन का बचाव, ग्रामीणों की जिद
कोलियरी प्रबंधक शांतनु शील का कहना है कि मंदिर के पास नहीं, बल्कि पंप हाउस के नजदीक ब्लास्टिंग की गई थी और इसकी सही स्थिति जांच के बाद ही स्पष्ट होगी। वहीं, एजीएम परवेज़ आलम ने आश्वासन दिया है कि बरारी बस्ती में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और DGMS (Directorate General of Mines Safety) के नियमों के तहत ही कार्य होगा।

क्या होगी अगली कार्रवाई?
अब सवाल यह उठता है कि क्या कोलियरी प्रबंधन धार्मिक स्थलों और ग्रामीणों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा? क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे? और क्या प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेकर धार्मिक धरोहरों की रक्षा कर पाएगा?


Barari Blasting विवाद ने एक बार फिर खनन कंपनियों और स्थानीय जनता के बीच विश्वास की खाई को उजागर कर दिया है। अगर समय रहते संवेदनशील और ईमानदार पहल नहीं हुई, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं और गहरा संकट पैदा कर सकती हैं।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।