जमशेदपुर, 9 दिसंबर 2024: जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के खाता संख्या 61 और 63 पर स्थित प्लॉट संख्या 531 और 530 को लेकर एक बार फिर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। स्थानीय रैयती जमीन मालिक प्रशांत सरदार ने आरोप लगाया है कि असामाजिक तत्व उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले को लेकर उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ उपायुक्त से मिलकर शिकायत दर्ज कराई और न्याय की गुहार लगाई।
क्या है मामला?
2023 में जमीन विवाद के इस मामले में जिला प्रशासन ने एलआरडीसी की जांच के बाद प्रशांत सरदार को उनकी जमीन सौंपी थी। प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरी कार्रवाई दल-बल के साथ संपन्न कराई थी। इसके बावजूद, अब फिर से असामाजिक तत्वों द्वारा इस जमीन पर कब्जे की कोशिश की जा रही है।
प्रशांत सरदार ने बताया कि यह जमीन उनके पूर्वजों की रैयती संपत्ति है, लेकिन कुछ बाहरी लोग बार-बार इस पर अपना हक जताने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इस घटना को प्रशासन की विफलता करार दिया और स्थानीय प्रशासन के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए।
इतिहास में जमीन विवाद और झारखंड की पृष्ठभूमि
झारखंड में जमीन विवाद का इतिहास गहरा और जटिल है। यहां की भूमि अधिनियम, खासकर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNTA) और संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (SPTA), आदिवासी और स्थानीय समुदायों की जमीन को बाहरी लोगों के कब्जे से बचाने के लिए बनाए गए थे। लेकिन, इन कानूनों के बावजूद, जमीन विवाद और अवैध कब्जों की घटनाएं आम बनी हुई हैं।
स्थानीय प्रशासन पर सवाल
प्रशांत सरदार और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि एक साल पहले ही प्रशासनिक कार्रवाई के तहत यह मामला सुलझा दिया गया था, फिर भी असामाजिक तत्वों की गतिविधियां रोकने में प्रशासन विफल रहा है।
प्रशांत सरदार ने कहा,
"हमने अपनी जमीन पर कब्जा वापस पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। अब प्रशासन की चुप्पी से असामाजिक तत्वों को बढ़ावा मिल रहा है। हम उपायुक्त से अपील करते हैं कि न्याय किया जाए और हमारी जमीन को सुरक्षित रखा जाए।"
भविष्य की कार्रवाई
भुक्तभोगियों ने उपायुक्त से मुलाकात कर उचित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मांग की कि:
- असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
- जमीन पर स्थायी सुरक्षा के उपाय किए जाएं।
- दोषियों को कानून के तहत सजा दिलाई जाए।
उपायुक्त ने आश्वासन दिया है कि मामले की पुनः जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
जनता की प्रतिक्रिया और भूमि सुरक्षा का मुद्दा
जमीन विवाद ने जुगसलाई क्षेत्र में असंतोष बढ़ा दिया है। स्थानीय लोग इसे कानून व्यवस्था की कमजोरी मानते हैं। इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि झारखंड में जमीन विवाद न केवल स्थानीय प्रशासन की चुनौती है, बल्कि राज्य की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता पर भी सवाल खड़ा करता है।
जमीन विवाद और अवैध कब्जे जैसे मुद्दे झारखंड में लंबे समय से प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। जुगसलाई का यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक परीक्षा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे असामाजिक तत्वों के बढ़ते साहस से आम नागरिक पीड़ित हो रहे हैं।