Indore Fraud: महिला से 1.60 करोड़ की ठगी, 4 और आरोपी गिरफ्तार

इंदौर में महिला कारोबारी से 1.60 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में चार और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। जानें कैसे डिजिटल अरेस्ट के जरिए आरोपी पकड़े गए और क्या है इस साइबर ठगी के पीछे का राज।

Dec 18, 2024 - 10:12
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Indore Fraud: महिला से 1.60 करोड़ की ठगी, 4 और आरोपी गिरफ्तार
Indore Fraud: महिला से 1.60 करोड़ की ठगी, 4 और आरोपी गिरफ्तार

इंदौर, 18 दिसंबर 2024: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक महिला कारोबारी से हुई 1.60 करोड़ रुपए की साइबर ठगी के मामले में पुलिस ने चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस घटनाक्रम के बाद अब तक कुल 11 आरोपी गिरफ्तारी की चपेट में आ चुके हैं। यह मामला इंदौर के उन गंभीर साइबर अपराधों में शामिल है, जिसमें अपराधियों ने महिला कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगा था।

क्या हुआ था पूरा मामला:

यह मामला तब सामने आया जब महिला कारोबारी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के अधिकारियों का फोन आया। ठगों ने महिला से कहा कि उसका नाम बड़े घोटाले में शामिल हो चुका है और उसके बैंक खाते से एक बड़ी राशि का ट्रांसफर किया गया है। इस घोटाले के कारण महिला में डर और तनाव का माहौल था, जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

साइबर ठगों का तरीका और पुलिस की कार्रवाई:

साइबर ठगों ने महिला को यह भरोसा दिलाया कि उसकी समस्या का हल वही निकाल सकते हैं, लेकिन इसके बदले में उन्हें 1.60 करोड़ रुपए की राशि की आवश्यकता है। महिला ने विश्वास कर यह रकम ट्रांसफर कर दी, लेकिन जब उसे ठगी का अहसास हुआ, तो उसने इंदौर पुलिस से संपर्क किया।

पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की और पहले 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान यह पता चला कि इस घोटाले में और भी लोग शामिल थे, जिनका उपयोग साइबर ठगों ने अपनी रकम को आगे ट्रांसफर करने में किया था।

नए गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिका:

इंदौर पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश त्रिपाठी ने मंगलवार को जानकारी दी कि जांच के दौरान यह पाया गया कि सीहोर निवासी रोहन के अकाउंट में 5 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और इस मामले में तीन और आरोपियों को भी अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया। इन आरोपियों में कुछ छात्र हैं, जिनके अकाउंट का उपयोग ठगों ने अपनी रकम को ट्रांसफर करने के लिए किया।

पुलिस का कहना है कि कुछ आरोपियों ने लालच में आकर अपना बैंक अकाउंट ठगों के हवाले कर दिया था, जिसके बाद उनका इस्तेमाल किया गया।

पुलिस द्वारा छात्रों को चेतावनी:

एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें छात्रों को चेतावनी दी गई है कि वे किसी भी स्थिति में अपना बैंक अकाउंट ठगों को न दें। उन्होंने कहा कि इस तरह के लालच में आकर छात्र कुछ हजार रुपए के लिए अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि साइबर ठग अब कम पढ़े-लिखे लोगों के बैंक अकाउंट खरीदकर उनसे ठगी की रकम ट्रांसफर करते हैं, जिससे उनका भी कोई सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन फिर भी उन्हें गिरफ्तार किया जाता है।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा:

साइबर अपराधों का यह बढ़ता हुआ खतरा देश के विभिन्न हिस्सों में चिंता का विषय बन गया है। साइबर ठग अब डिजिटल अरेस्ट और फर्जी अधिकारियों का सहारा लेकर लोगों से लाखों रुपए की ठगी कर रहे हैं। इंदौर पुलिस की त्वरित कार्रवाई के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि आरोपियों के नेटवर्क को और भी पकड़ा जाएगा।

साइबर सुरक्षा के उपाय:

इंदौर पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक किया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी स्थिति में केंद्रीय जांच एजेंसियों से जुड़े होने का दावा करने वालों पर विश्वास न करें। यदि कोई ऐसा कॉल या संदेश आता है, तो उसे तत्काल रिपोर्ट करें

इंदौर में हुए इस साइबर ठगी के मामले ने साफ कर दिया है कि साइबर अपराध अब तकरीबन हर जगह अपनी जड़ें फैलाने लगा है। जहां एक ओर पुलिस ठगों को पकड़ने के लिए कोशिशें कर रही है, वहीं दूसरी ओर आम लोगों को भी इस प्रकार के अपराधों से बचने के लिए जागरूक रहना चाहिए।

इस मामले में हुई गिरफ्तारियों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि साइबर सुरक्षा और सावधानी ही सबसे बड़ी बचाव की ताकत है।

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