Gumla Encounter: जंगल में माओवादियों के बिछाए बम बरामद, बड़ा खतरा टला

गुमला के आंजन-हिरमाखांड जंगल में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के बिछाए पांच केन बम बरामद कर निष्क्रिय किया। पुलिस का सर्च अभियान जारी।

Nov 27, 2024 - 15:24
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Gumla Encounter: जंगल में माओवादियों के बिछाए बम बरामद, बड़ा खतरा टला
Gumla Encounter: जंगल में माओवादियों के बिछाए बम बरामद, बड़ा खतरा टला

गुमला जिले के आंजन-हिरमाखांड जंगल में माओवादियों द्वारा सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए बिछाए गए बमों को सुरक्षा बलों ने निष्क्रिय कर दिया। इस ऑपरेशन के बाद इलाके में संभावित खतरे को टाल दिया गया है।

गुप्त सूचना से शुरू हुआ अभियान

गुमला पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जंगल में माओवादियों ने बम बिछाए हैं। इसके बाद पुलिस और झारखंड जगुआर की टीम ने संयुक्त सर्च अभियान चलाया। इस दौरान जंगल में छिपाए गए दो-दो किलो के पांच जिंदा केन बम बरामद हुए।

बम मिलने के बाद झारखंड जगुआर की बीडीडीएस (बॉम्ब डिस्पोजल एंड डिफ्यूजल स्क्वाड) टीम ने उन्हें तुरंत निष्क्रिय कर दिया। पुलिस का मानना है कि माओवादियों ने इन बमों का इस्तेमाल सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए किया था।

माओवादियों की चाल और झारखंड का इतिहास

झारखंड के जंगलों में माओवादियों की सक्रियता दशकों से चिंता का विषय रही है। 1990 के दशक से शुरू हुए माओवादी आंदोलन ने धीरे-धीरे राज्य के सुदूर इलाकों को अपनी जकड़ में ले लिया।
गुमला जिला, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और घने जंगलों के लिए जाना जाता है, माओवादियों की रणनीति का केंद्र रहा है। इस घटना ने फिर से क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों की गंभीरता को उजागर किया है।

सुरक्षा बलों की रणनीति

गुमला पुलिस और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के इस संयुक्त अभियान ने एक बड़ा हादसा टाल दिया। पुलिस का कहना है कि इन बमों का इस्तेमाल पुलिस गश्त दलों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता था।
सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन को माओवादियों की रणनीति को विफल करने की बड़ी जीत बताया है।

स्थानीय निवासियों में दहशत

घटना के बाद इलाके के ग्रामीणों में डर का माहौल है। स्थानीय लोग अब भी माओवादी गतिविधियों के कारण आतंकित हैं। पुलिस ने ग्रामीणों से सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी देने की अपील की है।

माओवाद और झारखंड: एक नजर

झारखंड के जंगल लंबे समय से माओवादी गतिविधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माने जाते रहे हैं। "ऑपरेशन ग्रीन हंट" जैसे अभियानों के बावजूद, माओवादियों की पकड़ कई इलाकों में मजबूत है।
गुमला, लोहरदगा, और लातेहार जैसे जिलों में पुलिस और माओवादियों के बीच कई बार मुठभेड़ हुई है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

डीएसपी स्तर के अधिकारी ने इस ऑपरेशन को माओवादियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा, "सुरक्षा बल क्षेत्र में नियमित गश्त और सर्च अभियान जारी रखेंगे। हमारी प्राथमिकता ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।"

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।