Patamda Irrigation: सांसद बिद्युत महतो ने उठाई किसानों की आवाज, सिंचाई योजना में देरी पर जताई नाराजगी
झारखंड के पटमदा, बोड़ाम, और काटिन प्रखंड के किसानों के लिए सांसद बिद्युत बरण महतो ने लोकसभा में उठाया सिंचाई योजना का मुद्दा। जानें, क्यों अटकी है 12,500 हेक्टेयर भूमि की योजना।
जमशेदपुर: झारखंड के किसानों की बहुप्रतीक्षित पटमदा पंप नहर सिंचाई योजना पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सांसद बिद्युत बरण महतो ने इस गंभीर मुद्दे को बुधवार को लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाया। उन्होंने जल संसाधन विभाग पर योजना में देरी को लेकर सवाल खड़े किए और किसानों के लिए तत्काल समाधान की मांग की।
क्या है पटमदा पंप नहर योजना?
यह योजना 2021 में झारखंड के जल संसाधन विभाग द्वारा पटमदा, बोड़ाम और काटिन प्रखंड के किसानों को सिंचाई सुविधा देने के लिए मंजूर की गई थी। यह परियोजना करीब 12,500 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का इंतजाम करने वाली थी। योजना के तहत क्षेत्र के किसानों को पानी की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करना था, जिससे उनकी फसल उत्पादन क्षमता में सुधार हो सके।
दो साल बाद भी अधूरी योजना
सांसद महतो ने बताया कि इस योजना के लिए कंसल्टेंट द्वारा सर्वेक्षण रिपोर्ट एक वर्ष पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है। इसके बावजूद जल संसाधन विभाग ने इसे अब तक मंजूरी नहीं दी। उन्होंने कहा कि इस देरी के कारण न केवल किसानों को सिंचाई की सुविधा से वंचित रहना पड़ा है, बल्कि उनकी कृषि उत्पादकता भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
सांसद की मांग और सरकार से अपेक्षा
सांसद बिद्युत बरण महतो ने कहा कि सिंचाई सुविधा किसी भी किसान के लिए खेती की रीढ़ होती है। यह न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार करती है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाती है। उन्होंने लोकसभा में जल संसाधन मंत्री से अपील की कि योजना में हो रही देरी की जांच कराई जाए और इसे तुरंत मंजूरी दी जाए।
उन्होंने कहा, "अगर समय पर इस योजना को अमल में लाया जाता, तो किसान आत्मनिर्भर बन सकते थे। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।"
स्थानीय किसानों की उम्मीदें और चुनौतियां
पटमदा, बोड़ाम और काटिन प्रखंड के किसान लंबे समय से इस योजना के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। यह क्षेत्र झारखंड के सबसे उपजाऊ इलाकों में से एक है, लेकिन पानी की कमी के कारण यहां कृषि उत्पादन सीमित हो जाता है।
स्थानीय किसान रामचंद्र महतो ने कहा, "हर साल सूखे की वजह से फसल खराब हो जाती है। यह योजना हमारे लिए जीवनरेखा साबित हो सकती है।"
सिंचाई योजनाओं का इतिहास
झारखंड में सिंचाई योजनाओं का इतिहास हमेशा से विवादों और देरी से जुड़ा रहा है। राज्य में किसानों के लिए कई योजनाएं मंजूर की गईं, लेकिन जमीन पर उनका क्रियान्वयन बेहद धीमा रहा।
क्या होगा आगे?
अब जब यह मुद्दा संसद में उठाया गया है, तो किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही योजना को मंजूरी मिलेगी। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर देरी के लिए कार्रवाई की मांग के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।
क्या सरकार समय पर इस योजना को मंजूरी देकर किसानों की मदद कर पाएगी? आपकी राय हमारे साथ साझा करें।
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