Jharkhand Encounter: खतरनाक माओवादी छोटू खरवार मारा गया, आपसी रंजिश में खत्म हुई कहानी
झारखंड के लातेहार में 15 लाख का इनामी माओवादी छोटू खरवार मारा गया। 100 से अधिक नक्सली घटनाओं का आरोपी छोटू की हत्या माओवादियों के आपसी विवाद में हुई।
झारखंड के लातेहार जिले में माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। 15 लाख के इनामी और 100 से अधिक नक्सली वारदातों का अभियुक्त छोटू खरवार की हत्या हो गई है। मंगलवार देर रात छिपादोहर थाना क्षेत्र के भीमपाव जंगल में माओवादियों के आपसी विवाद में उसकी जान गई।
कौन था छोटू खरवार?
छोटू खरवार झारखंड पुलिस और एनआईए के लिए लंबे समय से वांटेड था। वह चंदवा में चार पुलिसकर्मियों की हत्या सहित कई नक्सली घटनाओं में शामिल था। झारखंड के जंगलों में उसका नाम खौफ का पर्याय बन गया था। छोटू पर पुलिस ने 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
आपसी रंजिश ने खत्म किया खौफ
पलामू डीआईजी ने पुष्टि की है कि छोटू खरवार की हत्या उसके ही साथियों ने आपसी विवाद में की है। माओवादियों के बीच बढ़ते आपसी मतभेद और वर्चस्व की लड़ाई ने छोटू की कहानी खत्म कर दी।
नक्सली नेटवर्क और छोटू का काला इतिहास
झारखंड में नक्सली गतिविधियां 1990 के दशक से सक्रिय हैं। छोटू खरवार ने इन घटनाओं को एक नया स्तर दिया। वह 100 से अधिक नक्सली घटनाओं का आरोपी था, जिसमें पुलिसकर्मियों की हत्या, गांवों में आतंक फैलाना और फिरौती वसूली जैसे कृत्य शामिल हैं।
पुलिस का ऑपरेशन और मुठभेड़ का सिलसिला
छोटू खरवार की मौत से पहले, सोमवार रात लातेहार में जेजेएमपी उग्रवादियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। पुलिस के दबाव में उग्रवादी भाग खड़े हुए, लेकिन पुलिस ने दो उग्रवादियों को पकड़ लिया। इस मुठभेड़ ने नक्सलियों के कमजोर होते नेटवर्क को उजागर कर दिया।
छोटू की हत्या के मायने
छोटू खरवार की मौत झारखंड में माओवादियों की कमजोर होती पकड़ को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादी गुटों के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई उनके पतन का बड़ा कारण बन सकती है।
झारखंड और नक्सली घटनाओं का इतिहास
झारखंड के जंगल लंबे समय से माओवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह रहे हैं। "ऑपरेशन ग्रीन हंट" जैसे अभियानों के बावजूद नक्सलियों की गतिविधियां जारी रहीं। हालांकि, हाल के वर्षों में पुलिस ने कई बड़े नक्सली नेताओं को या तो गिरफ्तार किया है या मार गिराया है।
अधिकारियों का बयान
डीआईजी ने कहा, "छोटू खरवार की मौत माओवादी नेटवर्क के कमजोर होने का संकेत है। सुरक्षा बल लगातार क्षेत्र में सर्च अभियान चला रहे हैं।"
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