China and America rob to kango : अफ्रीका के कांगो को लूटने के लिए चीन और अमेरिका आमने - सामने, सीरिया बनने की राह खड़ा कांगो
कांगों के 24 ट्रिलियन डॉलर खजाने को लूटने के लिए चीन और अमेरिका ने कांगो को जंग के मैदान में झोंक दिया है। गरीबी की चरम पर पहुंचा कांगो सीरिया बनने की राह पर खड़ा हुआ है।
China and America rob to kango न्यूज : कहते है गरीब इंसान हो या देश उसे और निचोड़ने के लिए जंग की राह धकेल दिया जाता है। अफ्रिका का कांगो देश गरीबी से भी नीचे चला गया है। वहां के लोग पलायन के लिए मजबूर हो रहे है। खाने के लिए अन्न का दाना तक नहीं हैं फिर भी कांगो की 24 ट्रिलियन डॉलर खजाने को लूटने के लिए दो सुपरपावर देश आमने सामने आ गए है। अमेरिका और चीन ने कांगो को जंग के मैदान पर धकेल दिया है। खबर के मुताबिक पूर्वी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो के सबसे बड़े शहर गोमा में रवांडा समर्थित विद्रोहियों ने शहर पर कब्जा कर लिया है। विद्रोही गुट M 23 रणनीति के तहत गोमा पर कब्जा करने में सफल रहा। शहर में अभी 20 लाख लोग रहते है। जबकि इससे पहले 40 लाख लोग पलायन को विस्थापित हो चूके है।
खतरनाक हुए गोमा के हालात :
कांगों लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंशासा में बीते मंगलवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस, केन्या, बेल्जियम, रवांडा और युगांडा समेत कई विदेशी दूतावासो पर हमला किया। ये सभी प्रदर्शनकारी अफ्रीका के पूर्वी हिस्से के गोमा पर लिए गए कब्जे के खिलाफ इंटरनेशनल कम्यूनिटी से एक्शन लेने की मांग कर रहे है। गोमा में प्रदर्शन के दौरान 17 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 350 से अधिक लोग घायल है। कांगो की सरकार ने इसे युद्ध का एलान करार दिया। विद्रोहियों ने सेना को सरेंडर करने को कहा है। बेगुनाहों पर गोलियां चलाई जा रही हैं।
कौन है M 23 विद्रोही समूह :
अफ्रिका के गोमा में कब्जा करने वाला M 23 विद्रोही समूह मुख्य तौर पर जातीय तुत्सी समुदाय का गुट है। जो लंबे समय से पूर्वी कांगो में वर्चस्व जमाने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि M 23 समूह सालों से आतंक फैलाकर इसे आग में झुलसा रहा है। दरअसल तुत्सी को कांगो की सेना में शामिल नहीं किया गया था। जिसके बाद M 23 समूह ने वहां की सरकार को उखाड़ फेकने की कोशिश की। लेकिन सफल नहीं हुए। 2012 में सफल नहीं होने के बाद इस समूह ने दूरी बना ली। और कई सालों से अंडरग्राउंड रहा। लेकिन दस साल बाद यानि 2022 में यह समूह फिर उठ पड़ा। और दो साल तक इसने कई ऑपरेशन चलाए। जिसके बाद 2025 में इसे सफलता मिली। आपको बता दे कि पूर्वी कांगो साल 1996 से 2003 तक गोमा में संघर्ष का केंद्र रहा है। जिसे इतिहास में अफ्रीका का विश्वयुद्ध माना जाता है। उस दौरान इस क्षेत्र में कई सारे विद्रोही गुटों ने जन्म लिया। ये सब इन्होंने धातु, तांबा, कोबाल्ट, लिथियम और सोने की खदानों पर कब्जा करने के लिए खूनी संघर्ष किया। तब 60 लाख लोगों की मौतें हुई थी।
घटना में रवांडा की भूमिका क्या है :
24 ट्रिलियन डॉलर के खजाने को हथियाने के लिए अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए कांगो और रवांडा बहुत अहम हो जाते है। बता दे कि कांगो , अमेरिका और यूनाइटेड नेशन के एक्सपर्ट ने रवांडा पर M 23 समूह का समर्थन देने का आरोप लगाया। क्योंकि इस ग्रुप में लगभग 6500 से ज्यादा लड़ाके हैं। लेकिन रवांडा ने इन आरोपों को नकारा है। रवांडा ने कहा है कि पूर्वी कांगो में अभी 4000 सैनिक तैनात है। बता दें कि यूनाइटेड नेशन की सेना ने 2021 तक कांगो सरकार के सैनिक और बुरुंडी के सैनिकों और M 23 गुट को रोककर रखा था लेकिन अब इस गुट ने कब्जा कर लिया है।
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