Basant Panchmi 2025: कब है वसंत पंचमी, जानिए सही डेट,और पूजा विधि 

बसंत पंचमी 2 फरवरी 2025 को पड़ रही है। बसंत पंचमी विशेष रूप से माता सरस्वती जयंती के रूप में मनाई जाती है। 

Jan 29, 2025 - 14:28
Jan 29, 2025 - 14:38
 0
Basant Panchmi 2025: कब है वसंत पंचमी, जानिए सही डेट,और पूजा विधि 
Basant Panchmi 2025: कब है वसंत पंचमी, जानिए सही डेट,और पूजा विधि 

बसंत पंचमी 2025: सनातन धर्म के सभी त्योहारों का अपना एक विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी आगामी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। विद्या की देवी मानी जानी वाली मां सरस्वती की जयंती के रूप में बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत , काल , विज्ञान और शिल्प कला की देवी माना गया है। बसंत पंचमी के दिन बहुत से लोग शुभ कार्य करते है। कहते है जो भी छात्र और छात्राएं इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करके जो कुछ भी अपने भविष्य के लिए मांगती है।  छात्रों को बल और बुद्धि मिलती है।मां सरस्वती उसे जरूर पूरा करती है। यही वजह है कि बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त नाम से भी प्रसिद्धि है। 

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त :

ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार बसंत पंचमी 2 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त दो फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। 


पूजा - अर्चना का शुभ मुहूर्त :

हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का उत्सव हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होगा। जो दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।


बसंत पंचमी में होते है अलग - अलग उत्सव :

बसंत पंचमी मनाने का तात्पर्य बसंत ऋतु से जोड़ा जाता हैं कहते हैं बसंत ऋतु आने से किसानों में खुशी का माहौल होता है। गेहूं की बालियां निकलने लगती है, सरसों में फूल खिलने लगते हैं और आम के पेड़ों में बौडे लगने लगती है। इतना ही नहीं लोग घरों में इस दिन पीले कपड़े पहनते है। पीले चावल पकाते है। ऐसी मान्यता है कि पीला रंग सुख , समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। मां सरस्वती की पीला रंग बहुत पसंद है। उन्हे पीले फूल से लेकर वस्त्र और मिठाई भी पीले रंग की चढ़ाई जाती है।  पंजाब , झारखंड,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में तो बसंत पंचमी अलग अलग रूप में मनाई जाती है। इन जगहों में बच्चे खूब पतंग भी उड़ाते है।


क्या है बसंत पंचमी की पौराणिक कथा :

वैसे तो बसंत पंचमी की लेकर अलग - अलग पौराणिक कथाएं है। लेकिन जिन कथा को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है वो है। ब्रम्हा जी की। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने इस संसार के जीवों और मनुष्यों की रचना की थी। उन्होंने ऐसा करते वक्त यह ध्यान रखा कि वातावरण शांत हो और इसमें किसी की वाणी ना हो,फिर भी ब्रम्हा जी संतुष्ट नहीं थे। सृष्टि की रचना के बाद भी उन्हें संसार सुसासन और निर्जन आने लगा। फिर ब्रम्हा जी ने भगवान विष्णु से अनुमति लेकर धरती पर कमंडल से जल छिड़का। जिससे एक चतुर्भुज स्त्री प्रकट हुई। इस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे में वर मुद्रा थी। अन्य दो हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रम्हा जी ने उनसे वीणा बजाने को कहा। तब सभी जीव जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई। जिसके बाद उन्हें सरस्वती कहा गया।

बसंत पंचमी पूजा विधि :

बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करें, फिर पूजा स्थल पर चौकी रखकर उसमें पीला वस्त्र रखें। उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा रखें। इसके बाद कलश और भगवान गणेश के साथ नव ग्रह की पूजा करें। मिष्ठान का भोग लगाए। याद रखें कि वस्त्र , फूल, भोग सब पीले रंग का हो, और खुद पीले वस्त्र पहनें। इस दिन आप खिचड़ी भी दान कर सकते है। पूजा करते समय मां सरस्वती का मंत्र जाप करें।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Brajesh Saini ब्रजेश सैनी इंडिया इंडियन न्यूज में बतौर न्यूज राइटर और रिपोर्टर मैनेजर के रूप में काम कर रहे है। उन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई JIMMC कानपुर से पूरी की है। लगभग 6 वर्षो से मीडिया इंडस्ट्री में कार्यरत है। पॉलिटिकल , स्पोर्ट्स और इंटरनेशनल खबरों में अच्छी पकड़ है। इससे पहले वो कई संस्थान में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।