Bokaro Jungli Hathi Hamla Death: महिला की मौत, ग्रामीणों में दहशत क्यों बढ़ रही है?
क्या जंगली हाथियों का हमला झारखंड में एक नई समस्या बनता जा रहा है? जानें बोकारो में हुए ताजा हादसे का पूरा सच और इसके पीछे के कारण।
बोकारो : झारखंड के बोकारो जिले में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट क्षेत्र में जंगली हाथी के हमले में 55 वर्षीय महिला की मौत हो गई, जबकि दो अन्य महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं।
यह घटना पलामू पंचायत के छोटकीकुड़ी गांव की है। मृतक महिला सूरजी देवी अपने पति मंझलु मांझी के साथ जंगल की ओर जा रही थीं। उसी दौरान जंगली हाथी ने अचानक हमला कर दिया। इस हमले में सूरजी देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई। उनके पति भी इस हमले में चोटिल हुए हैं। इसी गांव की एक अन्य महिला पर भी हाथी ने हमला किया, हालांकि वह ज्यादा गंभीर रूप से घायल नहीं हुई।
कुएं में स्नान कर रही महिला पर भी हमला
दर्जी मोहल्ले में भी जंगली हाथी का कहर देखने को मिला। मो. आबूतालीब की पत्नी कमरजहां खातून (40) पर हाथी ने उस वक्त हमला कर दिया, जब वह कुएं में स्नान कर रही थीं। कमरजहां खातून को हाथी ने दौड़ाकर कुचल दिया। महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है, और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
फसलों और संपत्ति को भी पहुंचाया नुकसान
हाथी का आतंक केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं रहा। उसने कई किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया, घरों की चहारदीवारी और दरवाजे तोड़ दिए। इतना ही नहीं, एक बकरे को भी मार डाला।
वन विभाग पर लापरवाही का आरोप
घटना के कई घंटे बीत जाने के बावजूद वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। ग्रामीणों ने घायल महिला को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाया। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रशिक्षु डीएफओ संदीप शिंदे ने बताया कि हाथी को भगाने के लिए वन विभाग की टीम प्रयासरत है। वहीं, डुमरी के विधायक जयराम कुमार महतो ने डीएफओ को जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पंचायत की मुखिया जालेश्वरी देवी ने घायलों के इलाज और मुआवजा दिलाने की बात कही है।
इतिहास: क्यों बढ़ रहा है जंगली हाथियों का हमला?
झारखंड में हाथियों के इंसानी बस्तियों में घुसने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के घटते क्षेत्र और इंसानी गतिविधियों में बढ़ोतरी के कारण जंगली जानवर अपनी प्राकृतिक जगह छोड़कर आबादी वाले इलाकों की ओर जा रहे हैं।
साल 2023 में भी बोकारो और इसके आसपास के क्षेत्रों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ। यह घटना वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष का एक और उदाहरण है, जो तेजी से विकराल रूप ले रहा है।
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