Jamshedpur Fight: बोड़ाम में पड़ोसियों का मामूली विवाद बना चर्चा का विषय!
जमशेदपुर के बोड़ाम थाना क्षेत्र में मामूली विवाद ने मारपीट का रूप ले लिया। जानिए, कैसे एक छोटी बात ने बड़ा मोड़ ले लिया और प्रशासन ने क्या कदम उठाए।
जमशेदपुर ग्रामीण: बोड़ाम थाना क्षेत्र के आंधारझोर गांव में 15 जनवरी को एक मामूली विवाद ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया। पड़ोसियों के बीच शुरू हुई बहस मारपीट में बदल गई। इस घटना में एक महिला गंभीर रूप से घायल हुई हैं और उनका इलाज एमजीएम अस्पताल में चल रहा है। इस पूरे मामले में दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
क्या था विवाद का कारण?
घटना की शुरुआत तब हुई, जब बांकादा निवासी गणेश सिंह की पत्नी तुष्ट वाला सिंह अपनी बीमार बेटी से मिलने आंधारझोर गांव पहुंची थीं। बातचीत के दौरान पड़ोस की महिलाओं से बहस हो गई, जो धीरे-धीरे गाली-गलौज और मारपीट में बदल गई।
गणेश सिंह ने बताया कि करीब 10 महिलाओं ने उनकी पत्नी और बेटी के साथ मारपीट की। घायलों को स्थानीय नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां से तुष्ट वाला सिंह को गंभीर हालत में एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया, जबकि उनकी बेटी को नर्सिंग होम से ही छुट्टी दे दी गई।
दर्ज हुईं दो प्राथमिकी
इस घटना में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ बोड़ाम थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है:
- पहली प्राथमिकी: गणेश सिंह की ओर से दर्ज हुई है, जिसमें 10 महिलाओं पर गाली-गलौज और मारपीट का आरोप है। नामजद महिलाओं में मोना सिंह, प्रमिला सिंह, विलासी सिंह, और अन्य शामिल हैं।
- दूसरी प्राथमिकी: मोहिनी वाला सिंह के बयान पर दर्ज हुई है, जिसमें गणेश सिंह, उनकी पत्नी, और अन्य पर गाली-गलौज और मारपीट का आरोप लगाया गया है।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
बोड़ाम थाना प्रभारी मनोरंजन कुमार ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए गए हैं, और घटना के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
गांव के आपसी विवाद का इतिहास
आंधारझोर गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों में इस तरह के छोटे विवाद अकसर बड़ी घटनाओं में बदल जाते हैं। पिछली बार भी इस क्षेत्र में एक मामूली विवाद ने तनाव का माहौल बना दिया था।
स्थानीय लोगों की राय
घटना के बाद गांव में चर्चा है कि ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए पंचायत स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिए। ग्रामीणों का मानना है कि प्रशासन की भूमिका के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर सुलह का प्रयास जरूरी है।
क्या है समाधान?
- सामाजिक जागरूकता: इस तरह के विवादों को बढ़ने से रोकने के लिए ग्रामीणों में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- पंचायत की सक्रिय भूमिका: छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने के लिए पंचायत को मजबूत करना होगा।
- प्रशासनिक हस्तक्षेप: ऐसे मामलों में समय पर हस्तक्षेप कर विवाद को बढ़ने से रोका जा सकता है।
बोड़ाम की इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गांवों में विवाद सुलझाने के लिए बेहतर व्यवस्था कैसे की जाए। छोटे विवादों को जल्द सुलझाने के प्रयास किए जाएं, तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।
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