Jamshedpur Loot: सुवर्णरेखा घाट पर बालू माफियाओं का बड़ा खेल!
जमशेदपुर ग्रामीण के बहरागोड़ा क्षेत्र में मधुआबेड़ा घाट पर बालू माफिया अवैध कारोबार कर रहे हैं। जानें कैसे हो रही है बालू की लूट और सरकार को हो रहा है राजस्व का नुकसान।
जमशेदपुर ग्रामीण: बहरागोड़ा प्रखंड के पाथरी पंचायत अंतर्गत सुवर्णरेखा नदी के मधुआबेड़ा घाट पर बालू माफिया धड़ल्ले से अवैध बालू उत्खनन और भंडारण कर रहे हैं। प्रशासन की आँखों में धूल झोंकते हुए, रात के अंधेरे में हाइवा ट्रकों से बालू को पश्चिम बंगाल तक भेजा जा रहा है।
कैसे हो रही है बालू की लूट?
मधुआबेड़ा घाट से प्रतिदिन 15 से 20 हाइवा ट्रकों में बालू भरकर बंगाल पहुंचाया जा रहा है। बालू माफियाओं ने सरकारी भूमि पर भंडारण स्थल बना रखा है, जहां से यह अवैध कारोबार संचालित किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, एक दर्जन से अधिक ट्रैक्टर दिन-रात बालू ढोने में लगे हुए हैं।
इतिहास से सबक
सुवर्णरेखा नदी का यह क्षेत्र हमेशा से बालू माफियाओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। 2015 में भी प्रशासन ने इसी घाट पर बड़ी कार्रवाई की थी, जब भारी मात्रा में अवैध बालू जब्त किया गया था। हालांकि, कुछ दिनों की सख्ती के बाद बालू माफिया फिर सक्रिय हो गए।
प्रशासन की निष्क्रियता
स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन माफियाओं पर लगाम लगाने में विफल रहा है। हर चौक-चौराहे पर माफियाओं के लोग तैनात रहते हैं, जो प्रशासन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह कारोबार संगठित तरीके से चल रहा है।
अवैध उत्खनन से राजस्व को भारी नुकसान
सरकार को इस अवैध कारोबार से हर दिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। यदि यह बालू लूट बंद हो जाए, तो यह पैसा झारखंड के विकास में लगाया जा सकता है।
मधुआबेड़ा घाट की खासियत
सुवर्णरेखा नदी का यह घाट झारखंड और बंगाल के सीमा क्षेत्र में स्थित है। यहां की बालू गुणवत्ता में बेहतरीन मानी जाती है, जिससे इसका मूल्य और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि माफिया इस क्षेत्र को अपना ठिकाना बनाते हैं।
स्थानीय जनता की चिंता
स्थानीय लोग इस अवैध कारोबार से परेशान हैं। उनका कहना है कि यह न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है। नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है और इसका असर किसानों और मछुआरों पर भी पड़ रहा है।
कैसे हो सकता है समाधान?
- सख्त निगरानी: प्रशासन को इलाके में नियमित निगरानी करनी चाहिए।
- डिजिटल मॉनिटरिंग: ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग करके घाटों पर नजर रखी जा सकती है।
- स्थानीय सहयोग: स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे इस तरह की गतिविधियों की जानकारी प्रशासन को दें।
- कानूनी कार्रवाई: बालू माफियाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मधुआबेड़ा घाट पर चल रही यह बालू लूट सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह झारखंड के विकास में एक बड़ी रुकावट बन सकता है।
What's Your Reaction?