Graduate College Teachers Protest: काला बिल्ला लगाकर जताया असंतोष
ग्रेजुएट महाविद्यालय के बीएड विभाग के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर शांतिपूर्ण तरीके से असंतोष प्रकट किया। पढ़ाई और प्रशासनिक कार्य जारी रखते हुए उन्होंने अपनी मांगों को रखा।
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ग्रेजुएट महाविद्यालय के बीएड विभाग में आज का दिन असामान्य रहा, जब शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर काला बिल्ला पहनकर असंतोष जताया। हालांकि, इस विरोध के बीच कक्षाओं और प्रशासनिक कार्यों को पूरी जिम्मेदारी के साथ किया गया।
क्या है शिक्षकों का असंतोष?
डॉ. विशेश्वर यादव के अनुसार, शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन से सेवा विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं। कई बार प्रयासों के बावजूद उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया है, जिसके कारण उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध का यह तरीका अपनाया।
काला बिल्ला: शांतिपूर्ण विरोध का प्रतीक
काला बिल्ला शिक्षकों के असंतोष और उनके अधिकारों की मांग का प्रतीक है। आज बीएड विभाग के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं इस विरोध में शामिल हुए। इसके बावजूद, उन्होंने समय-सारणी के अनुसार कक्षाओं का संचालन किया और छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी।
इतिहास पर नजर:
भारत में शिक्षकों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का यह कोई पहला मौका नहीं है। शिक्षा जगत में पहले भी कई बार अधिकारों और मांगों को लेकर इस तरह के प्रतीकात्मक विरोध देखने को मिले हैं। 1990 के दशक में विश्वविद्यालय शिक्षकों ने समान वेतन और सेवा शर्तों को लेकर लंबे समय तक प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उनकी मांगों पर विचार किया गया।
क्या-क्या हुआ आज?
- कक्षाओं का संचालन:
सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने निर्धारित समय-सारणी के अनुसार कक्षाएं लीं। - परीक्षा कॉपियों की जांच:
आंतरिक परीक्षाओं की कॉपियों की जांच का कार्य भी जारी रहा। - प्रशासनिक कार्य:
विभागाध्यक्ष के निर्देश पर छात्रवृत्ति के लिए बोनाफाइड सर्टिफिकेट तैयार किए गए।
कौन-कौन थे शामिल?
इस विरोध प्रदर्शन में बीएड विभाग के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए। प्रमुख नामों में डॉ. अपराजिता, डॉ. पूनम ठाकुर, डॉ. जया शर्मा, डॉ. श्वेता बागडे, डॉ. मीनू वर्मा, डॉ. रानी सिंह, प्रो. प्रियंका भगत, प्रो. दीपिका कुजूर, प्रो. प्रियंका कुमारी, प्रो. प्रीति सिंह, और प्रो. इंदु सिंहा शामिल हैं।
क्या है शिक्षकों की उम्मीद?
डॉ. विशेश्वर यादव ने कहा, "हम अब भी विश्वविद्यालय प्रशासन से आशा करते हैं कि हमारी सेवा विस्तार की मांगों पर जल्द सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।" उन्होंने विश्वास जताया कि उनका यह शांतिपूर्ण विरोध प्रशासन को सोचने पर मजबूर करेगा।
छात्रों पर असर नहीं:
गौर करने वाली बात यह है कि विरोध के बावजूद, छात्रों की पढ़ाई और अन्य गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा। इससे शिक्षकों की जिम्मेदारी और उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।
क्या हो सकता है अगला कदम?
अगर विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही शिक्षकों की मांगों पर निर्णय नहीं लेता है, तो यह विरोध और अधिक गंभीर हो सकता है। हालांकि, शिक्षकों ने अभी तक किसी उग्र आंदोलन की बात नहीं कही है और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने पर जोर दिया है।
ग्रेजुएट महाविद्यालय के बीएड विभाग के शिक्षकों का यह कदम उनके अधिकारों और सेवा विस्तार की मांग को लेकर था। इस विरोध ने यह दिखाया कि शिक्षक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख सकते हैं और साथ ही अपने कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों पर क्या कदम उठाता है।
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