Bhilwara Murder: IITian इंजीनियर बना साइको किलर, दोस्तों और चौकीदार की बेरहमी से हत्या
राजस्थान के भीलवाड़ा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक IITian इंजीनियर दीपक नायर ने अंधविश्वास में अपने दोस्तों और एक चौकीदार की बेरहमी से हत्या कर दी। पढ़ें इस सनसनीखेज हत्याकांड की पूरी कहानी।

राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara) से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक पढ़ा-लिखा IITian इंजीनियर दीपक नायर अंधविश्वास की गिरफ्त में इस कदर आ गया कि उसने न केवल अपने दो दोस्तों बल्कि एक मंदिर के चौकीदार की भी निर्मम हत्या कर दी। हत्याओं के बाद आरोपित ने शवों के साथ जो किया, वो और भी खौफनाक था – उसने उनके प्राइवेट पार्ट भी काट डाले।
यह घटना भीलवाड़ा के न्यू बापूनगर इलाके की है। दीपक नायर, जो पेशे से एक इंजीनियर है और देश की एक नामी मोबाइल कंपनी में कार्यरत था, का मासिक वेतन 70-80 हजार रुपए था। बावजूद इसके, उसने ऐसी क्रूरता दिखाई जिसकी कल्पना भी रोंगटे खड़े कर देती है।
पुलिस जांच में पता चला कि दीपक अंधविश्वास के जाल में फंस चुका था। उसे शक था कि उसके दोस्त संदीप और मोनू उसके खिलाफ काला जादू कर रहे हैं। यही नहीं, अय्यप्पा मंदिर के चौकीदार लाल सिंह रावणा पर भी उसने टोना-टोटका करने का आरोप लगाया। इसी भ्रम में वह एक साइको किलर बन बैठा।
23 अप्रैल की रात, दीपक सबसे पहले अय्यप्पा मंदिर पहुंचा और वहां चौकीदार की बेरहमी से हत्या कर दी। धारदार हथियार से वार करने के बाद उसने चौकीदार का प्राइवेट पार्ट भी काट डाला। हत्या के कुछ ही घंटों बाद पुलिस ने दीपक को हिरासत में लिया। लेकिन जब पुलिस दीपक के घर पहुंची, वहां का दृश्य और भी भयावह था – दो और शव मिले। ये दीपक के ही दोस्त थे जिनकी हत्या उसने शराब पीने के बाद कर दी थी।
इतिहास की बात करें तो भीलवाड़ा एक शांत इलाका माना जाता रहा है, लेकिन इस घटना ने यहां की फिजाओं में डर घोल दिया है। दीपक का जन्म भीलवाड़ा में ही हुआ था, हालांकि मूलरूप से वह केरल का निवासी था। उसके माता-पिता का निधन हो चुका है और वह न्यू बापूनगर में अकेला रह रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि दीपक का आपराधिक रिकॉर्ड पहले से ही खराब रहा है। उस पर भीलवाड़ा और केरल में कुल 6 से 7 आपराधिक मामले दर्ज हैं। 2015 में उसने पुलिसकर्मियों से मारपीट की थी, और 2020 में एक कार शोरूम से गाड़ी लेकर फरार हो गया था।
पुलिस का मानना है कि दीपक की मानसिक स्थिति काफी समय से अस्थिर थी, लेकिन उसने कभी इसका इलाज नहीं कराया। डीएसपी सिटी मनीष बडगुर्जर के अनुसार, दीपक के और भी अपराधों में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस ने एक विशेष टीम बनाकर उसकी पिछली गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एक प्रतिष्ठित संस्थान जैसे IIT से पढ़ा-लिखा युवा किस तरह अंधविश्वास और मानसिक विकृति के चलते खूनी दरिंदा बन सकता है। यह मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब भीलवाड़ा पुलिस इस गुत्थी को सुलझाने में जुटी है कि क्या दीपक ने और भी लोगों को अपना शिकार बनाया है? या फिर अंधविश्वास की यह खौफनाक कहानी सिर्फ इन्हीं तीन हत्याओं तक सीमित है?
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