ग़ज़ल - 2 - रियाज खान गौहर ,भिलाई
ज़मीँ रो रही आसमाँ रो रहा है ये सारा का सारा जहाँ रो रहा है ..
ग़ज़ल
ज़मीँ रो रही आसमाँ रो रहा है
ये सारा का सारा जहाँ रो रहा है
वो अंजान बनकर यही पूछते हैं
बताओ तो कोई कहाँ रो रहा है
लहू बह रहा आज चारो तरफ ही
नही वो तो कहते जहाँ रो रहा है
करिश्मा दिखाकर वो कहते हैं हमसे
कहीँ तो नहीं गुलस्ताँ रो रहा है
नही बच सका कोई ऐसा यहाँ पर
जरा देखिये नौजवाँ रो रहा है
यही रात दिन सोंचता हूँ मैं अक्सर
न जाने ये किसका मकाँ रो रहा है
नही मिल रही नौकरी क्या करूँ मैं
यही सोंचकर हर जवाँ रो रहा है
ये क्या हो रहा आजकल इस वतन में
जो देखो यहाँ से वहाँ रो रहा है
गया कौन दिल के गुलिस्ताँ से गौहर
अभी तक ये हिन्दुस्ताँ रो रहा है
गज़लकार
रियाज खान गौहर भिलाई
What's Your Reaction?