Dhanbad Station Raid : लगेज स्कैनर में धरा गया 41 लाख नकदी का राज़, आयकर विभाग भी जांच में जुटा
धनबाद रेलवे स्टेशन पर लगेज स्कैनर में पकड़ाए दो यात्री, जिनके बैग से 41 लाख रुपये नकद बरामद हुए। आरपीएफ और आयकर विभाग की संयुक्त पूछताछ से मामला और पेचीदा हो गया है।

धनबाद रेलवे स्टेशन का नाम सुनते ही कोयले की नगरी और व्यस्त ट्रेनों की तस्वीर दिमाग में आती है। लेकिन इस बार स्टेशन सुर्खियों में कोयले के बजाय नोटों के बंडलों की वजह से आया है। सोमवार की सुबह जब ज्यादातर यात्री अपनी मंज़िल तक पहुंचने की तैयारी कर रहे थे, तभी स्टेशन के साउथ साइड बिल्डिंग में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने पूरे इलाके में हलचल मचा दी।
लगेज स्कैनर में फंसा खेल
सुबह करीब 9:45 बजे दो यात्री बिना बैग चेक करवाए स्टेशन के भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे। तैनात आरपीएफ जवानों को शक हुआ और उन्होंने बैग को स्कैनर से गुजारने को कहा। यहीं से इस कहानी की शुरुआत हुई। जैसे ही बैग मशीन में गया, स्क्रीन पर नोटों जैसी आकृति चमक उठी। दोनों यात्री घबराए, आनाकानी करने लगे, लेकिन आखिरकार मानना पड़ा कि बैग में नकदी है।
41 लाख की बरामदगी और चौंकाने वाला खुलासा
आरपीएफ ने तत्काल दोनों यात्रियों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। बैग खोलकर गिनती कराई गई तो सामने आया ₹41,22,400 नकद। यह रकम अखबार और गमछे में लपेटकर छिपाई गई थी। दोनों की पहचान बिहार के सासाराम, रोहतास जिला के रहने वाले हरेंद्र प्रसाद और संतोष कुमार खरवार के रूप में हुई।
यात्रियों ने खुद को गल्ला व्यापारी बताते हुए सफाई दी कि यह रकम वे सासाराम लेकर जा रहे थे। लेकिन जब जांचकर्ताओं ने गहराई से सवाल पूछे तो उनके बयान बार-बार बदलने लगे। यही वजह है कि मामला और भी संदिग्ध हो गया।
आयकर विभाग की एंट्री
जैसे ही रकम का आंकड़ा सामने आया, आयकर विभाग को सूचना दी गई। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दोनों से अलग-अलग पूछताछ की। सवाल साफ था – इतनी बड़ी रकम का सोर्स क्या है? क्या यह व्यापार की कमाई है या ब्लैक मनी का खेल? फिलहाल, अधिकारियों ने रकम जब्त कर ली है और आगे जांच जारी है।
इतिहास में ऐसे कई मामले
धनबाद रेलवे स्टेशन पर नकदी बरामद होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी चुनावी मौसम में या फिर बड़े वित्तीय लेन-देन के दौरान यात्रियों के पास से लाखों की नकदी बरामद की जा चुकी है। भारतीय रेलवे और सुरक्षा एजेंसियां कई बार यह दावा कर चुकी हैं कि स्टेशन और ट्रेनों को तस्करी, अवैध नकदी और हवाला कारोबार का रास्ता बनाया जाता है।
1980 के दशक से ही रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सीआईबी (क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) ऐसे मामलों में सक्रिय रहते आए हैं। खासतौर पर पूर्व-मध्य रेलवे जोन में नकदी और सोने की तस्करी अक्सर सुर्खियों में रही है।
अब जांच किस दिशा में?
आरपीएफ और आयकर विभाग दोनों ने स्पष्ट किया है कि बिना दस्तावेज़ों के इतनी बड़ी नकदी ले जाना नियमों के खिलाफ है। यदि यात्री साबित नहीं कर पाए कि यह रकम वैध है, तो पूरी राशि सरकार के खजाने में जमा हो जाएगी और उन पर मुकदमा भी चल सकता है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले को लेकर स्टेशन पर मौजूद यात्रियों के बीच भी चर्चा छिड़ी रही। कोई इसे ‘काला धन का खुलासा’ बता रहा था, तो कोई मान रहा था कि यह सामान्य व्यापारियों का पैसा हो सकता है। लेकिन सवाल अब भी वही है – अगर पैसा सही था तो छुपाकर क्यों ले जाया जा रहा था?
धनबाद स्टेशन की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि रेलवे सुरक्षा में अब लापरवाही की गुंजाइश नहीं है। लगेज स्कैनर और चौकसी से कई संदिग्ध गतिविधियां पकड़ में आ रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयकर विभाग की जांच आखिरकार किस नतीजे पर पहुंचती है।
यह वाकया सिर्फ एक नकदी बरामदगी का मामला नहीं, बल्कि उस सिस्टम की तस्वीर भी है जहां कानून और चालाकी के बीच हमेशा टकराव चलता है। सवाल अब भी बरकरार है – क्या यह सिर्फ व्यापार की रकम थी या फिर किसी बड़े नेटवर्क की कहानी का एक छोटा सा हिस्सा?
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