Dhanbad Betrayal: श्रवण कुमार से तुलना की जाती थी, लेकिन इस बेटे ने मां को मरने के लिए छोड़ दिया!
धनबाद में बीसीसीएल से रिटायर महिला कर्मचारी को उसके ही बेटे ने घर से निकाल दिया। एक साल से पेड़ के नीचे रहने वाली मां की मौत हो गई और बेटा पहचानने से भी भागा। जानिए इस दिल दहला देने वाली घटना की पूरी कहानी।

धनबाद: त्रेता युग में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवर पर बैठाकर तीर्थ यात्रा करायी थी, और वह आज भी मातृ-पितृ भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन आज के युग में झारखंड के धनबाद जिले में रहने वाले एक बेटे ने उस नाम को कलंकित कर दिया है। बीसीसीएल से सेवानिवृत्त महिला कर्मचारी तारा देवी को उसका ही बेटा श्रवण नोनिया घर से निकाल देता है, और मां एक पेड़ के नीचे रहकर जीवन काटती है। अंततः उसी पेड़ के चबूतरे पर सोमवार की रात तारा देवी ने दम तोड़ दिया।
एक बेटा जिसने मां को सड़क पर छोड़ दिया
धनबाद के तेतुलमारी थाना क्षेत्र में 65 वर्षीय तारा देवी का शव एक पेड़ के नीचे मिला। पुलिस ने शव को जब्त कर पोस्टमार्टम कराया और पहचान होने के बाद शव को उसके बड़े बेटे श्रवण को सौंप दिया गया। दुख की बात यह है कि तारा देवी खुद बीसीसीएल की कर्मचारी थीं और उन्होंने वीआरएस लेकर अपने बेटे श्रवण को नौकरी दिलवाई थी ताकि वह बुढ़ापे में उनका सहारा बन सके। लेकिन बेटे ने सहारा बनने के बजाय उन्हें बेसहारा कर दिया।
एक साल से रह रही थीं खुले आसमान के नीचे
स्थानीय लोगों के अनुसार, तारा देवी पिछले एक साल से तेतुलमारी सुभाष चौक के पास एक पेड़ के चबूतरे पर रह रही थीं। उनके पास मोबाइल और थोड़े बहुत पैसे थे। वह बीसीसीएल से कुछ पेंशन भी पाती थीं, जिसे वे खुद संभालती थीं। एक स्थानीय महिला कभी-कभी उन्हें खाना दे देती थी। लेकिन कोई नहीं जानता था कि वह खुद एक पूर्व कोलकर्मी हैं और उनका बेटा भी बीसीसीएल में नौकरी करता है।
शव को पहचानने से भागा बेटा
जब पुलिस ने मंगलवार सुबह महिला का शव बरामद किया, तो वह अज्ञात लग रही थी। पुलिस पहचान की कोशिश कर ही रही थी कि तभी श्रवण नोनिया बाइक से वहां से गुजरता है। उसने शव देखा लेकिन पहचानने या जानकारी देने की कोई कोशिश नहीं की। पुलिस को शक हुआ और स्थानीय लोगों ने इशारा किया कि वह महिला का बेटा है। जब पुलिस ने पीछा कर पकड़ा तो उसने स्वीकार किया कि मृतका उसकी मां है।
क्या कहती है पुलिस और कानून?
तेतुलमारी थाना प्रभारी सत्येंद्र यादव के अनुसार, मामला सामने आने के बाद UD केस दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और फिर परिजनों को सौंप दिया गया। श्रवण नोनिया से पूछताछ की गई लेकिन उसने मां की हालत या पारिवारिक विवाद के बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
इतिहास और समाज की नज़रों में मातृत्व की उपेक्षा
प्राचीन भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’ की परंपरा रही है। लेकिन आधुनिक समाज में ऐसे उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं जहां वृद्ध माता-पिता को उनके ही संतान द्वारा त्याग दिया जाता है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल सैकड़ों बुजुर्ग अपने ही बच्चों द्वारा बेघर किए जाते हैं।
श्रम का नहीं मिला सम्मान
सबसे दुखद पहलू यह है कि तारा देवी ने अपने बेटे के भविष्य को बनाने के लिए खुद नौकरी छोड़ी, लेकिन उसी बेटे ने उन्हें सड़क पर छोड़ दिया। बेटे की नौकरी उसी मां की वजह से लगी, जिसने उम्मीद की थी कि बुढ़ापे में वह बेटा उसका सहारा बनेगा। लेकिन हुआ उल्टा।
समाज को क्या सबक लेना चाहिए?
इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इस अमानवीय व्यवहार की कड़ी निंदा कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या अब कानून को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर बच्चों की जिम्मेदारियों को कानूनी तौर पर सुनिश्चित करना चाहिए?
क्या होनी चाहिए कार्रवाई?
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बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल को लेकर कड़ा कानून
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वीआरएस या पारिवारिक लाभ की शर्तों में देखभाल की बाध्यता
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स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर निगरानी
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पंचायत या वार्ड स्तर पर बुजुर्ग सहायता समिति
यह मामला सिर्फ एक मां का नहीं है, बल्कि उन हजारों माताओं का प्रतिनिधित्व करता है जो अपनी ही संतान के हाथों उपेक्षित हो रही हैं।
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