Dhanbad Alert: निजी स्कूलों ने बीपीएल बच्चों का एडमिशन लेने से किया मना, डीसी का कड़ा निर्देश!
धनबाद में आरटीई के तहत बीपीएल बच्चों के नामांकन से मना करने वाले सात निजी स्कूलों के खिलाफ डीसी माधवी मिश्रा ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
धनबाद में आरटीई (Right to Education) के तहत सरकारी आदेशों की अवहेलना का मामला सामने आया है। जिले के सात प्रमुख निजी स्कूलों ने बीपीएल (Below Poverty Line) श्रेणी के बच्चों का नामांकन लेने से साफ मना कर दिया है, जबकि इन बच्चों का नाम आरटीई की सूची में पहले ही शामिल किया जा चुका था। इससे न केवल अभिभावक परेशान हैं, बल्कि अब प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से लिया है। उपायुक्त माधवी मिश्रा ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए निजी स्कूलों को कड़ी चेतावनी दी है।
आरटीई के तहत शिक्षा का अधिकार क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून, 2009, का उद्देश्य हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करना है, खासकर कमजोर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए। इसके तहत निजी स्कूलों को गरीब बच्चों को 25% सीटों पर प्रवेश देने का निर्देश दिया गया है। लेकिन धनबाद में हाल ही में इस कानून का उल्लंघन किया गया, जब सात निजी स्कूलों ने बीपीएल बच्चों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया।
स्कूलों द्वारा मनमानी और प्रशासन का कड़ा रुख
धनबाद के उपायुक्त माधवी मिश्रा ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सभी निजी विद्यालयों को आदेश जारी किया कि वे एक सप्ताह के भीतर बीपीएल बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करें। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस आदेश के बाद, जिला शिक्षा अधिकारी आयुष कुमार ने निजी स्कूलों से वास्तविक रिक्त सीटों का प्रतिवेदन भी मांगा था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आरटीई के तहत बच्चों का नामांकन सही तरीके से किया गया है। हालांकि, इन स्कूलों ने इस प्रतिवेदन को उपलब्ध नहीं कराया, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया।
अधिकारों की अवहेलना और उसके परिणाम
उपायुक्त ने चेतावनी दी कि आरटीई कानून के तहत नामांकित बच्चों का नामांकन न करना गंभीर अपराध है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 221 और 223 के तहत सार्वजनिक आदेश की अवज्ञा को अपराध माना जाता है। इसके अलावा, सामर्थ्य संख्या को छुपाकर सीटों की संख्या कम करना भी अपराध है, और इसके लिए कठोर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
इस मामले में, यदि स्कूलों ने एक सप्ताह के भीतर नामांकन नहीं किया, तो उनके खिलाफ धारा 318, 316, और 336 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, स्कूलों की मान्यता भी रद्द की जा सकती है।
कौन से स्कूल हैं दोषी?
उपायुक्त ने विशेष रूप से डीएवी पब्लिक स्कूल मुनीडीह, डीएवी पब्लिक स्कूल बरोरा, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर, धनबाद पब्लिक स्कूल (केजी आश्रम और हीरक ब्रांच), डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, और सिंबायोसिस पब्लिक स्कूल के खिलाफ आदेश जारी किए हैं। इन स्कूलों के खिलाफ नामांकन प्रक्रिया में अड़चनें उत्पन्न की गईं, जबकि आरटीई के तहत उन्हें इन बच्चों का नामांकन करना था।
क्या अब बच्चों को मिलेगा उनका अधिकार?
अब यह सवाल उठता है कि क्या इन स्कूलों को समय पर नामांकन प्रक्रिया पूरी करने के लिए दबाव डाला जा सकेगा? क्या इन बच्चों को मिल पाएगी वह शिक्षा जो उनका हक है? प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है और देखना होगा कि क्या ये स्कूल समय सीमा के भीतर बच्चों का नामांकन करेंगे या फिर कानूनी कार्रवाई का सामना करेंगे।
यह मामला सिर्फ धनबाद के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण हो सकता है कि आरटीई कानून की गंभीरता को समझते हुए निजी स्कूलों को अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए।
धनबाद के इस मामले ने यह साफ कर दिया है कि आरटीई के तहत कमजोर और अभिवंचित वर्ग के बच्चों को उनके अधिकार से वंचित करने की कोशिशें किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
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