Delhi Hindu Sena: जामा मस्जिद के सर्वे की मांग पर गरमाई राजनीति

दिल्ली की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू सेना ने सर्वे की मांग की है। क्या इतिहास की परतें नए विवाद खोलेंगी? जानिए औरंगजेब और मंदिरों से जुड़े दावों की कहानी।

Dec 3, 2024 - 23:08
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Delhi Hindu Sena: जामा मस्जिद के सर्वे की मांग पर गरमाई राजनीति
Delhi Hindu Sena: जामा मस्जिद के सर्वे की मांग पर गरमाई राजनीति

Delhi Hindu Sena Demand: जामा मस्जिद के सर्वे की मांग क्यों उठी?

दिल्ली की जामा मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है। हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर मस्जिद का सर्वे करने की मांग की है। उनका दावा है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मंदिरों के अवशेष दबे हो सकते हैं। यह मसला न केवल एक ऐतिहासिक स्थल से जुड़ा है, बल्कि धार्मिक और राजनीतिक चर्चाओं को भी गरम कर रहा है।

दावे का आधार: इतिहास और दस्तावेज़

हिंदू सेना का कहना है कि औरंगजेब द्वारा जोधपुर और उदयपुर के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों को तोड़ा गया था। उनका दावा है कि इन मंदिरों की मूर्तियां जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाई गई थीं।

  • यह दावा औरंगजेब के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘मसीर-ए-आलमगीरी’ पर किया गया है, जिसे उनके दरबारी साकी मुस्तक खान ने लिखा था।
  • पुस्तक में औरंगजेब के मंदिर विध्वंस और उनके स्थान पर मस्जिद निर्माण के बारे में विस्तार से लिखा गया है।
  • इसी आधार पर गुप्ता ने मांग की है कि मूर्तियों को निकालकर उन्हें मंदिरों में पुनः स्थापित किया जाए।

जामा मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व

जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने 1650-1656 के बीच करवाया था। इसे भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक माना जाता है। लाल किले के पास स्थित यह मस्जिद उस समय के वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट नमूना है।

  • मस्जिद की बनावट: यह संरचना लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी है। इसमें 3 गुम्बदें और 2 ऊंची मीनारें हैं।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: यह मस्जिद न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए एक प्रार्थना स्थल है, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का भी प्रतीक है।

औरंगजेब और मंदिर विध्वंस का इतिहास

औरंगजेब का नाम अक्सर भारत में धार्मिक विवादों से जोड़ा जाता है।

  1. मंदिर विध्वंस के प्रमाण: इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब ने कई मंदिर तोड़े और उनके स्थान पर मस्जिदें बनवाईं।
    • काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया।
    • मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर की जगह शाही ईदगाह बनाई गई।
  2. राजनीतिक उद्देश्य: औरंगजेब के ये कदम धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक माने जाते हैं, ताकि वह अपने शासन को मजबूत कर सके और विरोधी राजाओं की शक्ति को कम कर सके।

मंदिरों के अवशेष: क्या है सच्चाई?

विष्णु गुप्ता का दावा है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों में मूर्तियों के अवशेष मौजूद हैं।

  • यह दावा कितने सटीक हैं, इसे जांच के बिना साबित करना मुश्किल है।
  • हालांकि, पुरातत्व सर्वेक्षण और वैज्ञानिक तरीके से खुदाई के जरिए इन दावों की पुष्टि की जा सकती है।

राजनीतिक और धार्मिक विवाद

जामा मस्जिद को लेकर उठे इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।

  • हिंदू संगठनों का रुख: हिंदू संगठनों का मानना है कि ऐसे सर्वे से इतिहास के सच को सामने लाया जा सकता है।
  • मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया: दूसरी तरफ, मुस्लिम समुदाय इसे धार्मिक स्थल की पवित्रता के खिलाफ मान रहा है।

कानूनी और संवैधानिक पहलू

भारत के संविधान में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनकी पवित्रता सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं।

  • 1991 का उपासना स्थल अधिनियम: यह कानून कहता है कि धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 को जैसा था, वैसा ही रहेगा।
  • हालांकि, अयोध्या मामले में इस अधिनियम का अपवाद देखा गया।

विशेषज्ञों की राय

इतिहासकारों और पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी ऐतिहासिक स्थल की सत्यता की जांच वैज्ञानिक तरीकों से की जानी चाहिए।

  • पुरातत्व सर्वेक्षण की भूमिका: यदि सर्वे किया जाता है, तो इसे निष्पक्ष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से होना चाहिए।
  • धार्मिक भावनाओं का सम्मान: साथ ही, इस प्रक्रिया में धार्मिक समुदायों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

जामा मस्जिद के विवाद का संभावित असर

  1. धार्मिक ध्रुवीकरण: ऐसे मुद्दे से धार्मिक तनाव बढ़ सकता है।
  2. ऐतिहासिक सत्य का खुलासा: अगर मूर्तियों के अवशेष मिलते हैं, तो यह इतिहास के एक नए पन्ने को खोल सकता है।
  3. न्यायपालिका की भूमिका: यह मामला कानूनी दायरे में भी जा सकता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।