Chaibasa Operation Review: नक्सलियों पर DGP का बड़ा एक्शन, जंगल में घुसकर चलाया जाएगा ‘फुलफॉर्म प्लान’
चाईबासा में डीजीपी अनुराग गुप्ता ने नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा बैठक की। CRPF, झारखंड जगुआर और कोबरा के साथ मिलकर जंगलों में और भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

झारखंड के घने जंगल एक बार फिर गर्म हैं, लेकिन इस बार वजह नक्सली हमला नहीं, बल्कि एक संगठित जवाब है। चाईबासा में पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता की अध्यक्षता में हुई एक हाई-लेवल मीटिंग ने संकेत दे दिया है – अब नक्सलियों को कोई रियायत नहीं मिलने वाली।
सोमवार को चाईबासा में आयोजित इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों की विस्तृत समीक्षा की गई। बैठक में शामिल हुए सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर, कोबरा फोर्स और जिले के वरीय पुलिस अधिकारियों को एक ही संदेश दिया गया – अब वक्त है रणनीति को जमीन पर उतारने का।
कौन-कौन रहे मौजूद?
इस उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में पुलिस महानिरीक्षक (अभियान), सीआरपीएफ के आईजी, झारखंड जगुआर के आईजी, दक्षिण छोटानागपुर प्रक्षेत्र के अधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।
बैठक में विशेष रूप से क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों, नक्सलियों की गतिविधियों और सुरक्षा बलों की मौजूदगी पर विस्तार से चर्चा की गई।
क्या कहा गया DGP अनुराग गुप्ता ने?
डीजीपी गुप्ता ने स्पष्ट किया कि अब समय है आक्रामक रणनीति अपनाने का। उन्होंने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान को न सिर्फ तेज किया जाएगा बल्कि अब उसे “स्मार्ट और टारगेटेड” बनाने की आवश्यकता है।
सुरक्षा बलों की हौसला अफजाई करते हुए उन्होंने कहा, “आप सभी इस राज्य की रीढ़ हैं। नक्सलियों के खिलाफ आपकी हर एक कार्रवाई इस क्षेत्र को शांति की ओर ले जाती है। अब जरूरत है कि हम हर कदम को प्लान के साथ उठाएं।”
नक्सलवाद: इतिहास और चुनौती
झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम इलाका लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है। यह क्षेत्र तिरुलडीह, सारंडा, गोइलकेरा और पोड़ाहाट के जंगलों के कारण हमेशा से नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना रहा है।
2000 के दशक की शुरुआत में जब झारखंड नया-नया राज्य बना था, तभी से यहां नक्सली गतिविधियां सिर उठाने लगीं। सारंडा जंगल को कभी "एशिया का सबसे बड़ा सलवा जुडूम विरोधी बेस" माना जाता था।
2011 में केंद्र सरकार ने यहां “सारंडा एक्शन प्लान” चलाया था, लेकिन समय के साथ ये भी धीमा पड़ गया। ऐसे में अब फिर से नक्सलियों के खिलाफ सख्त रुख दिखाया जाना महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
नई रणनीति क्या होगी?
-
रोजाना की सघन पेट्रोलिंग और गश्त तेज की जाएगी।
-
आधारभूत संरचना जैसे सड़क, मोबाइल टावर, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि ग्रामीण इलाकों में विश्वास बहाल हो सके।
-
जंगल के भीतर इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत किया जाएगा।
-
स्थानीय युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए रोजगार और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
ग्राउंड पर क्या बदलेगा?
सूत्रों के अनुसार, आने वाले हफ्तों में कोबरा और जगुआर कमांडो जंगलों में बड़े स्तर पर अभियान चलाने वाले हैं। यह सिर्फ सुरक्षा अभियान नहीं होगा, बल्कि इसमें ग्रामीणों को भरोसे में लेकर ‘हार्ट-विनिंग’ स्ट्रैटेजी भी अपनाई जाएगी।
डीजीपी अनुराग गुप्ता की यह समीक्षा बैठक नक्सलियों को एक साफ संदेश है – अब बर्दाश्त खत्म हो चुकी है। अब न कोई ढील, न कोई दया। झारखंड के जंगलों में अब सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ रणनीति की धमक सुनाई देगी।
What's Your Reaction?






