Bijapur Journalist Murder: न्याय की मांग और पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता

बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने की कड़ी सजा और पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग। राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। क्या न्याय मिलेगा?

Jan 8, 2025 - 23:34
Jan 8, 2025 - 23:47
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Bijapur Journalist Murder: न्याय की मांग और पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता
Bijapur Journalist Murder: न्याय की मांग और पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता

"पत्रकारों का कर्तव्य है सच्चाई को सामने लाना, लेकिन जब उन पर हमले होते हैं, तो सच्चाई खुद खतरे में पड़ जाती है।" बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने पूरे छत्तीसगढ़ में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। पत्रकारिता के प्रति यह क्रूर हमला न केवल लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास है, बल्कि इसे लेकर सरकार और समाज को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।

दुर्ग जिले में पत्रकारों का आक्रोश

इस हत्याकांड के विरोध में छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ, दुर्ग जिला इकाई ने होटल तृप्ति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस सभा में दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल और छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अवस्थी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस मौके पर जिले के 50 से अधिक पत्रकार एकत्र हुए और अपने साथी के प्रति संवेदना व्यक्त की।

सभा के बाद राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें निम्नलिखित मांगे की गईं:

  1. हत्या के आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई।
  2. पत्रकार सुरक्षा कानून का शीघ्र लागू होना।
  3. ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए एक स्वतंत्र और प्रभावी जांच समिति का गठन।

राज्य सरकार पर भरोसा और न्याय की उम्मीद

छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ जिला दुर्ग इकाई के अध्यक्ष ललित साहू ने कहा, "हमें राज्य सरकार और प्रशासन पर पूर्ण विश्वास है कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। सरकार एक्शन मोड में है और इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्रवाई कर रही है।"

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अवस्थी ने कहा कि पत्रकारों को राज्य सरकार पर भरोसा है, जो हमेशा पत्रकारों के हित में कार्य कर रही है और आगे भी करती रहेगी।

पत्रकार सुरक्षा कानून की जरूरत

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर देश में ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। जब तक पत्रकार सुरक्षा कानून नहीं लागू होता, तब तक इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना मुश्किल होगा।

देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाने वाले पत्रकारों को आज अपनी जान की सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सच्चाई को उजागर करना उनका कर्तव्य है, लेकिन इस कर्तव्य को निभाने में उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ती है।

श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों की प्रमुख उपस्थिति

इस श्रद्धांजलि सभा में छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रमुख पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। उपस्थित पत्रकारों में प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अवस्थी, प्रदेश सचिव संतोष ताम्रकार, संभाग अध्यक्ष छगन साहू, प्रदेश सलाहकार राफेल थॉमस, दुर्ग जिला महासचिव दिनेश पुरवार, और अन्य पदाधिकारी शामिल थे।

सभा में वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर नौशाद अहमद सिद्दीकी ने कहा, "यह घटना केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और समाज की स्वतंत्र आवाज पर हमला है।"

मीडिया की स्वतंत्रता पर मंडराता खतरा

मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकारों की हत्या मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करती है। पत्रकार समाज के सवालों को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने का माध्यम हैं। लेकिन जब वे खुद हमले का शिकार होते हैं, तो यह संकेत है कि समाज में स्वतंत्र आवाजों को दबाने का प्रयास हो रहा है।

पत्रकारों की सुरक्षा: सरकार का कर्तव्य

श्रद्धांजलि सभा के दौरान यह मांग जोर-शोर से उठाई गई कि केंद्र और राज्य सरकार पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए। पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करना इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

जांच और कार्रवाई की जरूरत

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद पुलिस और प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। दोषियों को गिरफ्तार कर कठोर सजा दिलाना ही न्याय का सबसे अच्छा तरीका होगा। साथ ही, ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन आवश्यक है, जो निष्पक्ष और त्वरित तरीके से मामलों की जांच कर सके।

मीडिया और समाज का दायित्व

यह समय है जब मीडिया के साथ-साथ समाज भी पत्रकारों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए आवाज उठाए। पत्रकार न केवल खबरों को प्रकाशित करते हैं, बल्कि समाज के उन पहलुओं को भी उजागर करते हैं, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

संवेदनशीलता और एकता की जरूरत

मुकेश चंद्राकर जैसे पत्रकारों की हत्या के मामलों में संवेदनशीलता और एकता दिखाने की जरूरत है। समाज और मीडिया को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि सच्चाई की आवाज दबाई न जाए।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।