Bhurkunda Crime: बंद कमरे से नशे में मिली नाबालिग, आरोपी पर गंभीर आरोप
भुरकुंडा के रिवर साइड इलाके में बंद कमरे से नाबालिग को नशे की हालत में बचाया गया। आरोपी मुस्ताक अंसारी पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप। जानें पूरा घटनाक्रम और पुलिस की कार्रवाई।
भुरकुंडा के रिवर साइड इलाके में गुरुवार देर शाम एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। एक 16-17 वर्षीय नाबालिग लड़की को बंद कमरे से नशे की हालत में लोगों ने बचाया। घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए।
घटना कैसे हुई?
रिवर साइड इलाके में पंचायत भवन के पास एक बंद कमरे से "हेल्प मी-हेल्प मी" की आवाज सुनकर आसपास के लोग जमा हो गए। दरवाजा तोड़ने पर उन्होंने देखा कि एक नाबालिग बेड पर पड़ी हुई थी, नशे में उल्टी कर रही थी और बचाने की गुहार लगा रही थी।
पीड़िता का बयान और आरोपी की पहचान
लड़की ने बताया कि एक "सर" ने उसे शराब पिलाकर उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। हालांकि, वह नाम याद नहीं कर पा रही थी। भीड़ में से किसी ने मुस्ताक सर का नाम लिया, जिस पर लड़की ने तुरंत सहमति जताई।
मुस्ताक अंसारी, जो खुद को एक ओल्ड एज होम का संचालक बताते हैं, मौके पर पहुंचे और दावा किया कि लड़की उनके यहां काम करती है। लेकिन लोगों के सवालों और कमरे में शराब की बदबू ने स्थिति को और संदिग्ध बना दिया।
लोगों का आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुस्ताक अंसारी अक्सर लड़कियों को इस बंद कमरे में लाता था। घटना के दिन सुबह भी उन्हें चार लड़कियों के साथ इलाके में देखा गया था।
पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल
भुरकुंडा पुलिस ने आरोपी मुस्ताक अंसारी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनकी कार्रवाई पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।
- मेडिकल जांच में देरी:
पुलिस ने नाबालिग का मेडिकल करवाने में लापरवाही बरती। - पीड़िता को सुरक्षित रखने में विफलता:
लड़की को एक तथाकथित बुआ के हवाले कर दिया गया, जो अब फरार बताई जा रही है।
इससे यह आशंका जताई जा रही है कि लड़की पर बयान बदलने का दबाव डाला जा सकता है।
थाना प्रभारी का बयान
भुरकुंडा थाना प्रभारी निर्भय गुप्ता ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। आवश्यक जांच के बाद मुस्ताक अंसारी पर मामला दर्ज किया जाएगा।
समाज और पुलिस के लिए सबक
यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि समाज और पुलिस की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करती है।
- समाज की भूमिका:
स्थानीय लोगों की सतर्कता से लड़की को बचाया जा सका। यह घटना दर्शाती है कि हर व्यक्ति को अपने आसपास के माहौल के प्रति जागरूक रहना चाहिए। - पुलिस की जिम्मेदारी:
ऐसे मामलों में तेज और संवेदनशील कार्रवाई जरूरी है। पीड़िता की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
क्या हो सकता है आगे?
भुरकुंडा की इस घटना ने झारखंड के प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है। अब देखने की बात होगी कि पुलिस इस मामले में कितना प्रभावी कदम उठाती है और पीड़िता को न्याय दिलाने में सफल होती है।
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