साइबर ठगों के ‘डिजिटल अरेस्ट’ से छह घंटे बाद हुआ भोपाल के कारोबारी का रेस्क्यू, करोड़ों की ठगी से बचा
भोपाल में साइबर ठगों ने एक कारोबारी को छह घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। मध्य प्रदेश साइबर पुलिस की सक्रियता से करोड़ों की ठगी से बचाव संभव हुआ। जानें कैसे हुई ये पूरी घटना।
मध्य प्रदेश के भोपाल में एक हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एक कारोबारी को साइबर ठगों ने छह घंटे तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा। पुलिस ने समय रहते दखल देकर इस कारोबारी को करोड़ों की ठगी से बचा लिया। यह घटना मंगलवार की है और इसे साइबर पुलिस की तेजी से कार्यवाही का बेहतरीन उदाहरण माना जा रहा है।
कारोबारी को कैसे फंसाया गया?
यह मामला भोपाल के अरेरा कॉलोनी निवासी और दुबई में बसे कारोबारी विवेक ओबेरॉय का है। ठगों ने ओबेरॉय को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश की। साइबर अपराधियों ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई), मुंबई साइबर अपराध शाखा और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बताया और ओबेरॉय को वित्तीय अपराध में संलिप्तता का झूठा आरोप लगाकर डरा दिया।
फर्जी अधिकारी बनकर दिया धमकी भरा कॉल
ठगों ने ओबेरॉय से स्काइप पर संपर्क साधा। इस दौरान उन्होंने खुद को ट्राई के ‘लीगल सेल अधिकारी’, साइबर अपराध शाखा के ‘एसआई विक्रम सिंह’ और सीबीआई के ‘आईपीएस डीसीपी महेश कलवानिया’ के नाम से परिचय दिया। उन्होंने कहा कि ओबेरॉय पर गंभीर वित्तीय आरोप लगे हैं और उन्हें इसके बारे में किसी को न बताने का निर्देश दिया। उन्होंने ओबेरॉय को डराने के लिए कई फर्जी दस्तावेज और नोटिस दिखाए, जिससे वे मानसिक दबाव में आ गए।
आधार डिटेल और बैंक खातों का झूठा दावा
साइबर ठगों ने ओबेरॉय की आधार डिटेल और फर्जी बैंक खाते बनाने का दावा कर उन्हें और डराया। इसके बाद, उन्होंने ओबेरॉय को स्काइप ऐप पर घंटों पूछताछ में उलझा दिया और उनकी व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी हासिल करने की कोशिश की। ठगों ने धमकी दी कि अगर उन्होंने अपने परिवार को कुछ भी बताया, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
साइबर पुलिस ने कैसे की मदद?
मध्य प्रदेश साइबर पुलिस को ओबेरॉय के ‘डिजिटल अरेस्ट’ में होने की जानकारी मिली। एडिशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजी) योगेश देशमुख ने तुरंत डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) एम. यूसुफ कुरैशी को निर्देश दिया कि वे एक टीम भेजकर ओबेरॉय को बचाएं। पुलिस की टीम तत्काल उनके घर पहुंची और वीडियो कॉल के जरिए हस्तक्षेप किया।
पुलिस का हस्तक्षेप और ठगों का पर्दाफाश
जैसे ही पुलिस टीम ओबेरॉय के घर पहुंची, उन्होंने स्काइप कॉल पर अपना परिचय दिया और ठगों से उनकी पहचान का सबूत दिखाने को कहा। यह सुनते ही साइबर ठगों ने तुरंत कॉल काट दिया और फरार हो गए। पुलिस ने ओबेरॉय को बताया कि ठगों के दिखाए गए सभी दस्तावेज और आरोप पूरी तरह से फर्जी थे।
समय रहते बची करोड़ों की ठगी
साइबर पुलिस की त्वरित कार्रवाई से ओबेरॉय एक बड़ी ठगी से बच गए। ओबेरॉय ने पुलिस की सक्रियता के लिए उनका आभार व्यक्त किया और बताया कि अगर समय रहते पुलिस नहीं आती, तो उनसे करोड़ों रुपये की ठगी हो सकती थी।
साइबर ठगी के बढ़ते मामले
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि साइबर अपराधी किस तरह से लोगों को अपने जाल में फंसाने के नए तरीके खोजते रहते हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी अधिकारी या बैंक के नाम से फोन आने पर उसकी जांच जरूर करें और ऐसे कॉल्स को तुरंत साइबर पुलिस को सूचित करें।
ऐसे मामलों से बचने के लिए क्या करें?
- संदिग्ध कॉल्स से सावधान रहें: किसी अनजान व्यक्ति द्वारा अधिकारी बनकर जानकारी मांगी जाए तो तुरंत साइबर पुलिस को सूचित करें।
- स्काइप या अन्य ऐप डाउनलोड न करें: किसी कॉल पर दबाव में आकर कोई नया ऐप इंस्टॉल करने से बचें।
- परिवार को सूचित करें: कोई भी धमकी मिलने पर अपने परिवार और दोस्तों को स्थिति की जानकारी दें।
मध्य प्रदेश साइबर पुलिस की सतर्कता ने ओबेरॉय को एक गंभीर धोखाधड़ी से बचाया, जो अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल है।
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