Bhilai Music Event :कला मंदिर में सजी सुरों की महफिल, गायकों ने बांधा समां
भिलाई में सुर संगीत संगम और बीएसपी ऑफिसर्स एसोसिएशन के तत्वावधान में हुए संगीत समारोह में नामी गायकों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। पढ़ें, इस आयोजन की पूरी कहानी।
भिलाई, छत्तीसगढ़: महात्मा गांधी कला मंदिर में 7 दिसंबर की शाम सुरों और तालों से सजी एक यादगार संगीत संध्या का आयोजन हुआ। "सुर संगीत संगम" और "ऑफिसर्स एसोसिएशन भिलाई इस्पात संयंत्र" के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में प्रदेश के नामचीन गायकों ने अपनी सुरमयी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
गायकों की शानदार प्रस्तुति ने मोहा दिल
संगीत समारोह में प्रदेश के लोकप्रिय गायकों, जैसे सत्या पांडे, पुनित श्रीवास, आलोक नारंग, जितेंद्र तांडी, प्रशांत, लता बर्मन, प्रनोती गजभिए, माधुरिमा रे, डॉली मुंशी, और मंजिता भारद्वाज ने हिस्सा लिया। इन कलाकारों ने अपनी मधुर गायकी से दर्शकों को सुरों की गहराई में डुबो दिया।
संगीत निर्देशन मशहूर संगीतकार कविंद्र बर्मन के मार्गदर्शन में डॉलफिन म्यूजिकल ग्रुप द्वारा किया गया, जिसने इस महफिल को और भी संगीतमय बना दिया।
मुख्य अतिथि और अतिथियों ने की सराहना
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुर्ग सांसद विजय बघेल ने इस सांगीतिक आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अन्य विशिष्ट अतिथियों में भिलाई इस्पात संयंत्र के डॉ एम रविंद्रनाथ (अधिशासी निदेशक, मेडिकल एंड हेल्थ सर्विसेज), संजय गजभिए (कार्यकारी निदेशक, फेरो एलॉय प्लांट, चंद्रपुर), नरेंद्र बंछोर (अध्यक्ष, ऑफिसर्स एसोसिएशन बीएसपी एवं सेफी चेयरमैन) और डॉ दीपक वर्मा (डायरेक्टर, स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल) शामिल थे।
संचालन और आयोजन की परिकल्पना
इस कार्यक्रम का संचालन प्रदेश के सुप्रसिद्ध एंकर सुप्रीयो सेन ने किया। उनकी वाक्पटुता और ऊर्जा ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।
कार्यक्रम की परिकल्पना और प्रस्तुति महेश कुमार विनोदिया (डायरेक्टर, सुर संगीत संगम म्यूजिकल ग्रुप) द्वारा की गई। पहली बार आयोजित इस संगीत समारोह में नरेंद्र बंछोर और संजय गजभिए ने विशेष सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान किया।
संगीत का ऐतिहासिक महत्व
संगीत की परंपरा भारत में अनादिकाल से मौजूद है। चाहे वैदिक मंत्रों का उच्चारण हो या भक्ति काल के संतों का कीर्तन, भारतीय संगीत का प्रभाव समाज पर गहरा रहा है। महात्मा गांधी कला मंदिर जैसे स्थान पर इस तरह के कार्यक्रम इतिहास और आधुनिकता का संगम हैं।
श्रोताओं का उत्साह चरम पर
दुर्ग-भिलाई क्षेत्र के सैकड़ों संगीत प्रेमी और कलाकार इस सांगीतिक संध्या का हिस्सा बने। श्रोताओं ने गायकों की प्रस्तुति का हर सुर और ताल में भरपूर आनंद उठाया। कार्यक्रम ने इस्पात नगरी के लोगों को एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहां उन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को न केवल सुना बल्कि महसूस भी किया।
समारोह की मुख्य झलकियां
- सुप्रसिद्ध गायकों की भागीदारी: कार्यक्रम ने क्षेत्रीय प्रतिभाओं को एक राष्ट्रीय मंच जैसा अनुभव दिया।
- संगीत निर्देशक का योगदान: कविंद्र बर्मन के निर्देशन में प्रस्तुतियां संगीतमयी और यादगार रहीं।
- महात्मा गांधी कला मंदिर की भूमिका: इस प्रतिष्ठित स्थान ने कला और संगीत के लिए सही माहौल प्रदान किया।
स्थानीय और सांगीतिक संस्कृति को बढ़ावा
भिलाई जैसे औद्योगिक शहर में सांगीतिक आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं बल्कि ये समाज को सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध करते हैं। सुर संगीत संगम ने अपने पहले आयोजन में इस बात को साबित किया है कि कला के माध्यम से समाज में सकारात्मकता लाई जा सकती है।
भिलाई के महात्मा गांधी कला मंदिर में हुई यह संगीत संध्या सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सुरों और तालों की वह गूंज थी, जिसने हर दिल को छू लिया। आयोजकों और कलाकारों की मेहनत ने साबित कर दिया कि जब सुर और संगीत का संगम होता है, तो वह हर बाधा को पार कर दिलों तक पहुंचता है।
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