Nawada Construction: पुल निर्माण में घटिया सामग्री, अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश!
नवादा जिले के पैन पर बने पुल के निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है, शिकायत के बावजूद अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे। जानिए इस घटिया निर्माण के बारे में और अधिकारियों की लापरवाही के बारे में।
नवादा जिले के पकरीबरावां प्रखंड के ढोढ़ा पंचायत में स्थित बेलावाद गांव में बन रहे पैन पुल के निर्माण में गुणवत्ता का भारी अभाव है। यहां प्रयोग हो रही घटिया सामग्री और अधिकारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीणों में गुस्सा है, लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
पुल निर्माण कार्य एक महत्वपूर्ण योजना होती है, जिसका उद्देश्य लोगों की सुरक्षा और यातायात में सुधार लाना होता है। लेकिन नवादा जिले के पकरीबरावां क्षेत्र में बन रहे पैन पुल का मामला पूरी तरह से इसके विपरीत नजर आ रहा है। यहां पर पुल निर्माण में एक नंबर ईंट की जगह तीन नंबर ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसी भी समय पुल के ढहने का कारण बन सकता है। इसके बावजूद स्थानीय अधिकारी इस गंभीर मामले पर चुप्प हैं और जांच की प्रक्रिया में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
क्या है मामला?
नवादा जिले के ढोढ़ा पंचायत के बेलावाद गांव में पैन पुल का निर्माण कार्य जारी है। यह पुल ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है, लेकिन निर्माण में इस्तेमाल हो रही घटिया सामग्री ने इस पुल के निर्माण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक नंबर ईंट के स्थान पर तीन नंबर ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल भी सही नहीं है। पुल की गुणवत्ता में यह कमी किसी भी वक्त पुल के ढहने का कारण बन सकती है, लेकिन इस पर अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
ग्रामीणों की शिकायतें और अधिकारियों की लापरवाही
ग्रामीणों ने इस मुद्दे को लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उनका कहना है कि अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति की है। शिकायत के बावजूद न तो निर्माण कार्य की ठीक से जांच की गई और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए। इसके बजाय, अभिकर्ता और अधिकारी अपने फायदे की बातें करते नजर आ रहे हैं। एक वीडियो में घटिया निर्माण सामग्री का स्पष्ट रूप से उपयोग देखा जा सकता है, लेकिन अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
एक अभिकर्ता का कहना है कि "जहां जाना हो, जाओ, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।" यह बयान इस बात को उजागर करता है कि अधिकारी निर्माण की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दे रहे और उनकी प्राथमिकता केवल योजना का लाभ अपने तक सीमित रखना है।
क्या होगा अगर यही स्थिति रही तो?
यदि यह स्थिति बनी रही, तो न केवल पुल का निर्माण विफल होगा, बल्कि इस योजना का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिलेगा। यह स्थिति मनरेगा की तरह हो सकती है, जहां योजनाओं का लाभ अधिकारियों और अभिकर्ताओं तक ही सिमट कर रह जाता है। यह पैन पुल के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की तरह एक और घोटाला हो सकता है, जिसका नुकसान केवल स्थानीय लोगों को होगा।
क्या है समाधान?
इस स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक है कि अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाए और वे अपनी भूमिका को समझे। अगर इस पुल का निर्माण सही तरीके से किया जाता, तो यह स्थानीय लोगों के लिए एक स्थायी और सुरक्षित संपर्क मार्ग बन सकता था। लेकिन अगर यह घटिया निर्माण जारी रहा, तो यह न केवल पुल के ध्वस्त होने का कारण बनेगा, बल्कि स्थानीय प्रशासन की नाकामी को भी उजागर करेगा।
नवादा जिले के पैन पुल निर्माण में गुणवत्ता की कमी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला प्रशासन की ओर से गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, जिसके कारण ग्रामीणों की सुरक्षा और विकास पर सवाल उठ रहे हैं। अगर जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह योजना एक और भ्रष्टाचार का शिकार हो सकती है। अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्माण कार्य की जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह पुल सही गुणवत्ता के साथ बनें और ग्रामीणों को इसका पूरा लाभ मिले।
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