Kashichak Health Camp: गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष जांच शिविर, 207 महिलाओं का हुआ परीक्षण
काशीचक में आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं का एएनसी जांच शिविर। जानें क्यों यह जांच गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है और क्या खास रहा इस शिविर में।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सोमवार को काशीचक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 207 गर्भवती महिलाओं ने भाग लिया और आवश्यक चिकित्सा परामर्श प्राप्त किया।
क्या है प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान?
यह अभियान भारत सरकार द्वारा 2016 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को कम करना है। अभियान के तहत हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं।
शिविर में क्या-क्या हुआ?
शिविर की शुरुआत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. जीवेश कुमार की देखरेख में हुई।
- जांच की प्रक्रिया:
गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की गई। इसमें ब्लड प्रेशर, वजन, हीमोग्लोबिन स्तर, और भ्रूण की स्थिति की जांच शामिल थी। - दवाइयां और इंजेक्शन:
गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन फोलिक एसिड की गोलियां दी गईं। इसके अलावा, टेटनस का टीका (टीटी) भी लगाया गया। - मेडिकल परामर्श:
डॉक्टरों ने गर्भवती महिलाओं को खान-पान, साफ-सफाई, और गर्भावस्था के दौरान सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया। - आपातकालीन सहायता:
महिलाओं को नजदीकी आशा कार्यकर्ता और एंबुलेंस के नंबर साझा किए गए, ताकि किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत मदद मिल सके।
गर्भावस्था के दौरान एएनसी जांच क्यों है जरूरी?
गर्भावस्था के दौरान नियमित एएनसी जांच यह सुनिश्चित करती है कि मां और शिशु दोनों स्वस्थ हैं। यह जांच निम्नलिखित समस्याओं का समय पर पता लगाने में मदद करती है:
- खून की कमी (एनीमिया)
- हाई ब्लड प्रेशर
- शिशु की भ्रूणीय स्थिति
- संभावित जटिलताएं, जैसे गर्भावस्था मधुमेह
स्वास्थ्य केंद्र पर उमड़ी भीड़
शिविर में महिलाओं की भारी भीड़ देखी गई। यह दर्शाता है कि जागरूकता बढ़ रही है और महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क हो रही हैं।
स्थानीय आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
शिविर में नजदीकी आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक लाने और जागरूकता बढ़ाने में मदद की।
गर्भवती महिलाओं के लिए ऐतिहासिक प्रयास
भारत में गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं।
- जननी सुरक्षा योजना (2005): गर्भवती महिलाओं के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता।
- मिशन इंद्रधनुष: मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियमित टीकाकरण।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व
ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की पहुंच अक्सर सीमित होती है। ऐसे में काशीचक जैसे शिविर गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
डॉ. जीवेश कुमार ने कहा, "हमारा लक्ष्य हर गर्भवती महिला तक पहुंचना है। सुरक्षित और स्वस्थ प्रसव सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।"
शिविर में उपस्थित लोग
शिविर में चिकित्सा पदाधिकारी आशुतोष कुमार, विनोद कुमार, प्रियंका कुमारी, माया शर्मा, नागमणि कुमार, और अन्य स्टाफ ने भाग लिया। सभी ने गर्भवती महिलाओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में योगदान दिया।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत काशीचक में आयोजित यह शिविर न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि जागरूकता बढ़ रही है। गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को चाहिए कि वे इस तरह के शिविरों का लाभ उठाएं और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
गर्भावस्था के दौरान छोटी सी सतर्कता बड़े खतरे को टाल सकती है। काशीचक का यह शिविर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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