Hisua चालाकी: फरार वारंटी ने फर्जी शादी कार्ड छपवाकर पुलिस को दिया धोखा
हिसुआ के फरार वारंटी ने जेल से बचने के लिए फर्जी शादी का कार्ड छपवाकर कोर्ट और पुलिस को गुमराह किया। जानें कैसे पुलिस ने चालाकी का पर्दाफाश किया।
नवादा जिले के हिसुआ नगर परिषद क्षेत्र में पुलिस ने एक चौंकाने वाले मामले का खुलासा किया है। वर्ष 2015 से फरार एक वारंटी ने जेल जाने से बचने के लिए फर्जी शादी का ढोंग रचकर पुलिस और कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है।
क्या है मामला?
हिसुआ थाना कांड संख्या 225/15 के तहत दर्ज एक मामले में मोहन कुमार वर्मा, पिता अजय प्रसाद, लंबे समय से फरार था। यह मामला वर्ष 2015 का है, जब मोहन कुमार पर सड़क जाम और हंगामा करने का आरोप लगा था। पुलिस को उसकी लंबे समय से तलाश थी।
वारंटी की चालाकी: फर्जी शादी का कार्ड
गिरफ्तारी से बचने और कोर्ट को गुमराह करने के लिए मोहन कुमार ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उसने एक फर्जी शादी कार्ड छपवाया और दावा किया कि उसकी शादी होने वाली है। यह कार्ड पुलिस और कोर्ट को भ्रमित करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
हालांकि, पुलिस की सतर्कता ने उसकी चालाकी को नाकाम कर दिया। थानाध्यक्ष अनिल कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने उसे हिसुआ बाजार स्थित उसकी जेवर की दुकान के पास से गिरफ्तार कर लिया।
कैसे पकड़ा गया झूठ?
जांच में पाया गया कि मोहन कुमार का शादी का दावा फर्जी था। पुलिस ने शादी कार्ड और उसके अन्य दावों की गहराई से जांच की, जिससे सच्चाई सामने आ गई। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इतिहास: अपराधियों के फरार रहने के अनोखे तरीके
भारत में अपराधियों द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए ऐसे अनोखे और हास्यास्पद तरीके अपनाए जाते रहे हैं।
- 1970s का एक मामला: एक कुख्यात चोर ने खुद को धार्मिक बाबा के रूप में पेश किया और वर्षों तक पुलिस की नजरों से बचा रहा।
- फर्जी पहचान: कई अपराधी फर्जी नाम और पहचान पत्र का इस्तेमाल करते हैं।
- शादी के बहाने: शादी और अन्य सामाजिक आयोजनों का बहाना बनाकर कानून से बचने की कोशिश करना एक नया लेकिन हास्यास्पद तरीका है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
मोहन कुमार की इस चालाकी की खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। लोग इसे मजाकिया और शर्मनाक दोनों मान रहे हैं।
- एक यूजर ने लिखा, "अब शादी का कार्ड भी कोर्ट से बचने का तरीका बन गया है।"
- वहीं, दूसरे ने कहा, "कानून से बचने की कोशिशें भले ही अनोखी हों, लेकिन पुलिस की नजर से बचना मुश्किल है।"
पुलिस की सतर्कता और अगली कार्रवाई
थानाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि मोहन कुमार की गिरफ्तारी वर्षों की तलाश का नतीजा है। अब कोर्ट में उसके खिलाफ ठोस सबूत पेश किए जाएंगे, ताकि उसे उचित सजा मिल सके। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है कि क्या इस फर्जी शादी कार्ड में अन्य लोग भी शामिल थे।
कानूनी पहलू: क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने का प्रयास एक गंभीर अपराध है।
- धारा 205: फर्जी पहचान का इस्तेमाल करना दंडनीय अपराध है।
- धारा 419: धोखाधड़ी के लिए सजा।
मोहन कुमार पर इन धाराओं के तहत अतिरिक्त मामले दर्ज हो सकते हैं।
कानून से बचना मुश्किल
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि अपराधी चाहे जितनी भी चालाकी कर लें, कानून से बच पाना मुश्किल है। पुलिस की तत्परता और सतर्कता ने मोहन कुमार की चाल को नाकाम कर दिया। अब सवाल यह है कि क्या यह गिरफ्तारी अन्य फरार वारंटियों के लिए चेतावनी बनेगी?
ऐसी घटनाएं बताती हैं कि कानून का मजाक उड़ाने वालों के लिए सख्त कार्रवाई कितनी जरूरी है।
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