Assam Politics में गरमाई सियासत: हिमंता बिस्वा सरमा पर लगे आरोपों की सच्चाई क्या?
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने AIMIM नेता बाबर खान की याचिका पर जवाब दाखिल कर आरोपों को खारिज किया। जानिए, क्या यह मामला सिर्फ राजनीति का हिस्सा है या इसमें कुछ सच्चाई भी है?
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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा एक बार फिर चर्चा में हैं! जमशेदपुर के AIMIM नेता बाबर खान द्वारा दायर याचिका पर सरमा ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इस जवाब में 14 पन्नों का विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह याचिका सिर्फ सस्ती लोकप्रियता और राजनीतिक फायदे के लिए दायर की गई है। अब सवाल उठता है कि क्या यह मामला सच में गंभीर है, या सिर्फ राजनीतिक खेल का हिस्सा? आइए, जानते हैं पूरी कहानी।
क्यों विवादों में आए हिमंता बिस्वा सरमा?
AIMIM नेता बाबर खान ने एक याचिका (C1-4005/2024) दायर की थी, जिसमें उन्होंने हिमंता बिस्वा सरमा पर भड़काऊ बयानबाजी और नफरत फैलाने के आरोप लगाए थे। लेकिन अब मुख्यमंत्री की ओर से अदालत में दाखिल जवाब में साफ कहा गया है कि ये आरोप बेबुनियाद और राजनीतिक लाभ के लिए गढ़े गए हैं।
सरमा के जवाब में क्या कहा गया?
- यह याचिका सिर्फ सस्ती लोकप्रियता और राजनीतिक फायदे के लिए दायर की गई।
- उनके कथित बयान से किसी भी तरह की हिंसा या सामाजिक अव्यवस्था नहीं फैली।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, और उन्होंने इसी का प्रयोग किया।
- बाबर खान खुद AIMIM के उम्मीदवार हैं और यह याचिका केवल राजनीतिक फायदे और हिमंता बिस्वा सरमा की छवि खराब करने के लिए दायर की गई।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह याचिका सच में न्याय के लिए थी, या महज राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल की गई?
हिमंता बिस्वा सरमा: असम की राजनीति के कद्दावर नेता
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को भारतीय राजनीति में एक तेजतर्रार और बेबाक नेता के रूप में जाना जाता है। 2001 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने सरमा ने 2015 में भाजपा का दामन थामा और तब से वह असम की राजनीति में सबसे प्रभावशाली चेहरे बन गए हैं।
- 2016 में भाजपा ने असम में जीत दर्ज की और सरमा राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री बने।
- 2021 में उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई और तब से वे कई बार विवादों में घिरे हैं।
- उनकी पहचान हिंदुत्ववादी राजनीति और बेबाक बयानों के लिए भी होती है।
इसलिए, जब AIMIM नेता बाबर खान ने उनके खिलाफ याचिका दायर की, तो यह स्वाभाविक था कि मामला सुर्खियों में आ जाता।
अब क्या होगा इस केस में?
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि बाबर खान के वकील इस केस को किस दिशा में ले जाते हैं। क्या अदालत इस याचिका को खारिज कर देगी, या मामला और तूल पकड़ेगा?
- अगर अदालत इस याचिका को खारिज करती है, तो यह हिमंता बिस्वा सरमा के लिए बड़ी जीत होगी।
- अगर सुनवाई आगे बढ़ती है, तो यह मामला और भी राजनीतिक रंग ले सकता है।
- बाबर खान के वकील मोहम्मद जाहिद और कुलविंदर सिंह अब अदालत में क्या दलील देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
क्या यह सिर्फ राजनीति का हिस्सा है?
भारतीय राजनीति में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना आम बात है। ऐसे में यह मामला भी एक राजनीतिक साजिश या प्रचार रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
अब देखना यह है कि अदालत का फैसला क्या आता है और क्या यह मामला आगे भी सुर्खियों में बना रहेगा? हिमंता बिस्वा सरमा को इस केस से राहत मिलेगी या नहीं, इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा!
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