Ranchi School Recognition: निजी स्कूलों की मान्यता पर शिक्षा सचिव संग अहम बैठक, 10 दिनों में बड़ा फैसला संभव!
रांची में पासवा प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह से मुलाकात कर निजी स्कूलों की मान्यता में आ रही बाधाओं पर चर्चा की। जानिए बैठक की पूरी जानकारी और क्या हो सकते हैं अगले फैसले।
Ranchi School Recognition: निजी स्कूलों की मान्यता पर शिक्षा सचिव संग अहम बैठक, 10 दिनों में बड़ा फैसला संभव!
रांची: प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (PASWA) का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्य के शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह से रांची स्थित प्रोजेक्ट बिल्डिंग में मिला। इस बैठक में निजी विद्यालयों की मान्यता से जुड़ी समस्याओं को लेकर गहन चर्चा हुई। PASWA के मुख्य संरक्षक और पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव और राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे के नेतृत्व में इस मुलाकात ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है।
क्या है पूरा मामला?
2019 में रघुवर दास सरकार द्वारा लागू भूमि बाध्यता कानून के कारण झारखंड के कई निजी स्कूलों की मान्यता रुक गई थी। इस कानून के अनुसार, मान्यता के लिए स्कूलों को एक निश्चित भूमि आकार और कमरों के साइज के मानकों को पूरा करना अनिवार्य था।
PASWA की मांगें:
प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा सचिव को सौंपे गए ज्ञापन में कुछ प्रमुख मांगें रखीं:
भूमि बाध्यता कानून समाप्त किया जाए।
2009 के शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून के अनुसार ही मान्यता दी जाए।
यूडाइस (UDISE) पोर्टल को दोबारा खोला जाए, जिससे स्कूल मान्यता प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि छोटे निजी स्कूलों के लिए इतने बड़े प्लॉट की उपलब्धता असंभव है और इससे लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
क्या है RTE कानून?
शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून 2009 में लागू हुआ, जिसके तहत 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया। इसमें स्कूलों के बुनियादी ढांचे पर कुछ नियम थे, लेकिन भूमि बाध्यता जैसी शर्तें मूल कानून में नहीं थीं। PASWA का कहना है कि 2009 का मूल RTE कानून ही पर्याप्त है।
बैठक में क्या हुआ?
बैठक के दौरान शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि:
10 दिनों के भीतर भूमि बाध्यता कानून पर निर्णय लिया जाएगा।
मान्यता प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
PASWA के पदाधिकारियों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
छात्रों और शिक्षकों का भविष्य दांव पर
डॉ. रामेश्वर उरांव ने बैठक के दौरान कहा कि अगर इस मुद्दे का समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो झारखंड के हजारों निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। साथ ही, शिक्षकों की नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।
कौन-कौन था बैठक में शामिल?
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख लोग:
PASWA मुख्य संरक्षक: डॉ. रामेश्वर उरांव
राष्ट्रीय अध्यक्ष: आलोक कुमार दुबे
रांची महानगर अध्यक्ष: डॉ. सुषमा केरकेट्टा
प्रदेश पदाधिकारी: संजय प्रसाद, रूपेश कुमार, मनोज कुमार भट्ट, मेहुल दुबे, डॉ. अनु, ममता देवी, नीतू कुमारी
हजारीबाग जिला अध्यक्ष: मींकू प्रसाद
अगले कदम क्या हो सकते हैं?
शिक्षा सचिव के 10 दिनों के भीतर निर्णय के वादे के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि:
भूमि बाध्यता कानून में संशोधन संभव।
निजी स्कूलों को मान्यता के लिए सरल प्रक्रिया लागू की जा सकती है।
UDISE पोर्टल खोलने की घोषणा हो सकती है।
रांची में PASWA और शिक्षा सचिव की यह बैठक झारखंड के शिक्षा क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। अगर 10 दिनों के भीतर भूमि बाध्यता कानून पर सकारात्मक फैसला आता है, तो हजारों स्कूलों और लाखों छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है। अब सभी की निगाहें शिक्षा विभाग के अगले कदम पर टिकी हैं।