Andhra Pradesh Punishment: शिक्षिका ने बाल काटकर दी सजा, स्कूल में मचा हंगामा

आंध्र प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में अनुशासन के नाम पर शिक्षिका ने 18 छात्राओं के बाल काट दिए। चार छात्राओं से मारपीट और उन्हें धूप में खड़ा करने की घटना ने विवाद खड़ा कर दिया।

Nov 18, 2024 - 16:39
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Andhra Pradesh Punishment: शिक्षिका ने बाल काटकर दी सजा, स्कूल में मचा हंगामा
Andhra Punishment: शिक्षिका ने बाल काटकर दी सजा, स्कूल में मचा हंगामा

आंध्र प्रदेश (Alluri Sitarama Raju District): स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने के नाम पर शिक्षकों द्वारा की गई कठोर सजा की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं। लेकिन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से आई यह खबर चौंकाने वाली है। यहां एक शिक्षिका ने सुबह की प्रार्थना सभा में देर से पहुंचने वाली छात्राओं के बाल काटकर सजा दी

इस घटना ने न केवल स्कूल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि छात्राओं के अभिभावकों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

घटना कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की है।

  • शिक्षिका साईं प्रसन्ना ने 18 छात्राओं के बाल काट दिए।
  • छात्राओं का दोष सिर्फ इतना था कि वे पानी की कमी के कारण सुबह की प्रार्थना सभा में देर से पहुंचीं।
  • इसके अलावा, चार छात्राओं को धूप में खड़ा करने और मारपीट करने का आरोप भी शिक्षिका पर लगा है।

छात्राओं से चुप्पी का दबाव

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिक्षिका ने छात्राओं को धमकाया कि वे इस घटना के बारे में किसी से न कहें।

  • लेकिन जब छात्राओं ने अपने माता-पिता को यह बात बताई, तो घटना बाहर आई।
  • अभिभावकों ने शिक्षिका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

शिक्षिका ने क्या कहा?

शिक्षिका साईं प्रसन्ना ने अपने कृत्य का बचाव करते हुए इसे अनुशासन सिखाने का तरीका बताया।

  • उन्होंने कहा कि छात्राओं में अनुशासन और समय की पाबंदी लाने के लिए यह कदम उठाया।
  • हालांकि, शिक्षा विभाग ने घटना को गंभीरता से लेते हुए शिक्षिका से स्पष्टीकरण मांगा है।

ऐसा क्यों हुआ? शिक्षा विभाग पर सवाल

इस घटना ने विद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

  1. पानी की कमी:

    • विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का अभाव क्यों है?
    • छात्राएं सुबह की प्रार्थना सभा में समय से क्यों नहीं पहुंच पाईं?
  2. छात्राओं की सुरक्षा:

    • बालिका विद्यालय में सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
    • लेकिन शिक्षिका के इस कृत्य ने छात्राओं की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा पर खतरा पैदा किया।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: एक ऐतिहासिक दृष्टि

भारत में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत 2004 में हुई थी।

  • इसका उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की बालिकाओं को माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराना था।
  • लेकिन इस तरह की घटनाएं इन विद्यालयों की छवि को खराब करती हैं।

अभिभावकों का आक्रोश और मांग

घटना के सामने आने के बाद अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन और शिक्षिका के खिलाफ नाराजगी जाहिर की।

  • उन्होंने मांग की कि:
    • दोषी शिक्षिका को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
    • विद्यालय में छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
    • स्कूल की बुनियादी समस्याओं, जैसे पानी की कमी, को तुरंत दूर किया जाए।

अनुशासन और सजा: कहाँ खींचनी चाहिए सीमा?

विद्यालय में अनुशासन बनाए रखना जरूरी है, लेकिन इसके लिए कठोर सजा देना न केवल गलत है बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है।

  • शिक्षिका का यह कदम बाल अधिकारों का हनन माना जा सकता है।
  • बच्चों को शिक्षा और अनुशासन के नाम पर प्रताड़ित करना, खासकर बालिका विद्यालयों में, गंभीर चिंता का विषय है।

क्या कहता है कानून?

भारत में बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम (POSCO) और बाल शोषण रोकथाम कानून के तहत बच्चों को शारीरिक दंड देना अपराध है।

  • शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत भी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना पर रोक है।
  • शिक्षिका पर कार्रवाई इन कानूनों के तहत की जा सकती है।

शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी

  • स्कूल प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
  • छात्रों के लिए परामर्श और काउंसलिंग का प्रबंध किया जाना चाहिए।
  • विद्यालय की सभी समस्याओं, जैसे पानी की कमी, को प्राथमिकता से सुलझाना चाहिए।

यह घटना शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और सजा के नाम पर फैले अत्याचार का उदाहरण है।

  • सरकार और शिक्षा विभाग को इस घटना से सबक लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।
  • छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना हर शिक्षक और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है।

आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना अहम होगा

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