Adityapur Demolition: आदित्यपुर में चला बुलडोजर, 19 साल पुरानी दुकानें मलबे में तब्दील, दुकानदारों का छलका दर्द

आदित्यपुर में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत बुलडोजर से कच्ची झोपड़ीनुमा दुकानों को हटाया गया। जानें इस कार्रवाई से जुड़े हर पहलू और दुकानदारों की कहानी।

Dec 5, 2024 - 16:54
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Adityapur Demolition: आदित्यपुर में चला बुलडोजर, 19 साल पुरानी दुकानें मलबे में तब्दील, दुकानदारों का छलका दर्द
Adityapur Demolition: आदित्यपुर में चला बुलडोजर, 19 साल पुरानी दुकानें मलबे में तब्दील, दुकानदारों का छलका दर्द

आदित्यपुर: गुरुवार को आदित्यपुर में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत नगर निगम ने सड़क किनारे बनी झोपड़ीनुमा दुकानों को हटा दिया। आदित्यपुर थाना रोड और आसपास के इलाकों में चली इस कार्रवाई से दुकानदारों में हड़कंप मच गया। 19 साल से दुकान चला रहे विजय कुमार ने मलबे के ढेर को देखते हुए कहा, "अब हमारी रोजी-रोटी का क्या होगा?"

बुलडोजर की गर्जना और दुकानदारों का दर्द

आदित्यपुर नगर निगम ने यातायात थाना और आदित्यपुर थाना के सहयोग से यह अभियान चलाया। नगर निगम की उपनगर आयुक्त पारुल सिंह ने अभियान का नेतृत्व किया, जबकि दंडाधिकारी के रूप में गम्हरिया आंचल निरीक्षक प्रमोद सिंह, यातायात प्रभारी राजेश कुमार, और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

इस कार्रवाई से कई दुकानदारों का जीवन प्रभावित हुआ है। 15 से 19 साल से दुकान चला रहे कई लोगों ने बताया कि उन्हें पहले से सूचना दी गई थी, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में अब उनके पास रोजी-रोटी का कोई जरिया नहीं बचा।

क्या है वेंडिंग जोन योजना का हाल?

आदित्यपुर नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने की योजना के तहत वेंडिंग जोन बनाने की योजना बनाई थी। दुर्गा मंदिर के पास अस्थायी दुकानों के लिए जगह चिन्हित की गई थी। लेकिन यहां पानी की टंकी का निर्माण होने के कारण यह योजना ठप हो गई।

इसके चलते दुकानदारों को सड़कों पर अवैध तरीके से दुकानें लगानी पड़ीं, जो आज हटाई जा रही हैं। वेंडिंग जोन योजना का अधर में लटकना इस समस्या का एक बड़ा कारण है।

इतिहास और अतिक्रमण हटाने की जरूरत

आदित्यपुर, झारखंड का एक तेजी से विकसित होता क्षेत्र है। अतिक्रमण, बढ़ती आबादी और बेतरतीब शहरीकरण का परिणाम है। 2000 के दशक की शुरुआत में यहां दुकानों और ठेलों ने सड़कों के किनारे कब्जा करना शुरू किया।

राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे अभियान चर्चा में रहे हैं। भारत में 1970 के दशक में अतिक्रमण हटाने की शुरुआत हुई थी, लेकिन आज भी शहरों में इस समस्या से निपटने के लिए संघर्ष जारी है। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए गए हैं।

नगर निगम का पक्ष और वैकल्पिक व्यवस्था की मांग

नगर निगम ने बताया कि यह कार्रवाई सड़क पर यातायात सुगम बनाने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थी। अधिकारी रवि भारती ने कहा, "यह अभियान पूर्व सूचना के साथ किया गया है।"

हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई। स्थानीय दुकानदारों ने वेंडिंग जोन योजना को फिर से लागू करने की मांग की है ताकि उन्हें रोजगार का एक स्थायी साधन मिल सके।

जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां

अतिक्रमण हटाओ अभियान के चलते आदित्यपुर की सड़कों पर फिलहाल राहत है, लेकिन यह राहत दुकानदारों के लिए मुश्किलें लेकर आई है। बिना वैकल्पिक व्यवस्था के यह कदम बेरोजगारी और सामाजिक असंतोष को बढ़ावा दे सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ऐसे अभियानों के दौरान पुनर्वास और रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि वेंडिंग जोन योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया गया होता, तो शायद यह समस्या आज नहीं होती।

निगम की अपील: सहयोग जरूरी

नगर निगम ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे सड़क पर अतिक्रमण से बचें और स्वच्छ और व्यवस्थित शहर बनाने में सहयोग करें। निगम ने वेंडिंग जोन योजना को फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसकी समयसीमा पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है।

आदित्यपुर का यह अभियान शहर को सुचारु और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। लेकिन यह भी जरूरी है कि इसमें सभी पक्षों का ध्यान रखा जाए, ताकि विकास और रोजगार दोनों का संतुलन बना रहे।

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