वनांचल साहित्य समरोह में छत्तीसगढ़ी संस्कृति का महाकुंभ – साहित्यकारों को मिला सम्मान
वनांचल साहित्य सृजन समिति मोहला द्वारा आयोजित एक दिवसीय साहित्यिक समरोह में छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों का जमावड़ा। साहित्यकारों को किया गया सम्मानित। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
छत्तीसगढ़ के मोहला जिले के गोटाटोला में वनांचल साहित्य सृजन समिति द्वारा 11 अगस्त 2024 को एक दिवसीय साहित्यिक समरोह का आयोजन किया गया, जो साहित्य और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित हुआ। इस समरोह में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए कवि, लेखक, गीतकार, ग़ज़लकार और लोक साहित्यकारों ने शिरकत की। इस अवसर पर दो सत्रों में परिचर्चा, सम्मान समारोह और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
पहला सत्र: परिचर्चा और सम्मान
समरोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक डॉ. इकबाल खान 'तन्हा' ने की। इस सत्र में मुख्य अतिथि बालोद के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश देशमुख, विशिष्ट अतिथि कमल तापड़िया, अजय राजपूत, शंकर गजेंद्र, प्यारे जायसवाल, जग्गू मार्गे और नंदू ढलेंन्द्र जैसे गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे।
इस सत्र का मुख्य आकर्षण परिचर्चा का विषय "छत्तीसगढ़ के तिहार अऊ लोक जीवन" रहा, जिसमें लखनलाल कलामें 'लहरिया' ने छत्तीसगढ़ी त्योहारों के महत्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ साहित्यकार महेन्द्र बघेल 'मकुब' ने लोक जीवन के बदलते स्वरूप पर चिंता व्यक्त की और सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। जगदीश देशमुख ने त्योहारों पर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक चिंतन के माध्यम से लोक जीवन की गहराइयों को उजागर किया।
परिचर्चा के बाद, विभिन्न साहित्यकारों को 'वनांचल साहित्य सृजन सम्मान' से सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. रीना कोमरे 'कोया', डॉ. माधवी गणवीर, गजेंद्र हरिहारणो 'दीप', जगदीश देशमुख और युनुस कुरैशी 'अजनबी' शामिल थे। इस सत्र का संचालन जितेंद्र पटेल 'विद्रोही' ने किया।
दूसरा सत्र: काव्य गोष्ठी
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा 'जनता' ने की, जो स्वयं एक वरिष्ठ साहित्यकार और छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता हैं। इस सत्र में मुख्य अतिथि श्रीमती शांता कलामें (सरपंच, ग्राम पंचायत गोटाटोला) थीं, जबकि विशिष्ट अतिथियों में डॉ. अशोक आकाश (अध्यक्ष, मधुर साहित्य परिषद डौंडी लोहारा), ओमप्रकाश साहू 'अंकुर' (अध्यक्ष, साकेत साहित्य परिषद सुरगी), ग्वाला प्रसाद यादव 'नटखट', जयकांत पटेल, संतोष ठाकुर और लखनलाल साहू 'लहर' जैसे प्रमुख साहित्यकार शामिल थे।
इस सत्र के दौरान, सभी साहित्य समितियों को वनांचल साहित्य सृजन समिति द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात, विरेंद्र तिवारी 'वीरू' की संचालन में आयोजित काव्य गोष्ठी में कई प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। इस गोष्ठी में पुष्कर सिंह राज, डॉ. एस.एल. गंधर्व, डॉ. अशोक आकाश, चंदू देशमुख, और अन्य कवियों ने अपने काव्य पाठ से वातावरण को सरस और उत्साहपूर्ण बना दिया।
समापन और धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में वनांचल साहित्य सृजन समिति के अध्यक्ष डॉ. इकबाल खान 'तन्हा' ने सभी उपस्थित साहित्यकारों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के संवर्धन के लिए समय-समय पर इस तरह के आयोजनों की निरंतरता पर बल दिया।
इस आयोजन ने न केवल साहित्यकारों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समरोह के अंत तक समरसता भवन में उत्साह और जोश की लहर बह रही थी, जिसने यह साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति और साहित्य आज भी जनमानस में गहराई से रचा-बसा हुआ है।
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