Jamshedpur Initiative: पूर्वी सिंहभूम में 12 पंचायतें हुईं टीबी मुक्त, जानिए कैसे बनीं मिसाल?

पूर्वी सिंहभूम की 12 पंचायतें हुईं टीबी मुक्त! जानिए कैसे प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पंचायत प्रतिनिधियों ने मिलकर टीबी के खिलाफ जंग लड़ी और इसे संभव बनाया। क्या झारखंड 2030 तक टीबी मुक्त हो पाएगा?

Mar 24, 2025 - 15:50
Mar 24, 2025 - 15:56
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Jamshedpur Initiative: पूर्वी सिंहभूम में 12 पंचायतें हुईं टीबी मुक्त, जानिए कैसे बनीं मिसाल?
Jamshedpur Initiative: पूर्वी सिंहभूम में 12 पंचायतें हुईं टीबी मुक्त, जानिए कैसे बनीं मिसाल?

जमशेदपुर – भारत में क्षय रोग (टीबी) से मुक्ति का सपना अब धीरे-धीरे साकार हो रहा है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में 12 पंचायतों को आधिकारिक रूप से टीबी मुक्त घोषित किया गया है। विश्व टीबी दिवस के अवसर पर जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने इन पंचायतों के मुखियाओं को सम्मानित कर उनके योगदान को सराहा।

कैसे बनीं ये पंचायतें टीबी मुक्त?

टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों ने मिलकर काम किया। घर-घर सर्वे, मुफ्त इलाज, पोषण योजनाएँ और जागरूकता अभियानों का अहम योगदान रहा। यह काम आसान नहीं था, लेकिन समर्पण और मेहनत के दम पर यह संभव हुआ।

झारखंड में टीबी का इतिहास

झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में टीबी लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। यहाँ कई ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच के कारण लोग समय पर इलाज नहीं करा पाते थे। राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम (NTEP) के तहत सरकार ने मुफ्त इलाज और जांच की सुविधा शुरू की। लेकिन जब तक गाँव के लोग खुद इस अभियान में नहीं जुड़ते, तब तक सफलता मुश्किल होती।

कौन-कौन सी पंचायतें हुईं टीबी मुक्त?

जिन 12 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है, उनमें शामिल हैं:
घाटशिला: धरमबहाल पंचायत
डुमरिया: खड़िदा, बड़ाकांजिया, बांकीशोल
मुसाबनी: नॉर्थ बादिया, वेस्ट बादिया, नॉर्थ ईचड़ा
बोड़ाम: पोखोरिया
पटमदा: कमलपुर
चाकुलिया: विरदोह
गोलमुरी सह जुगसलाई: धरमबहाल
बहरागोड़ा: मौदा पंचायत

सम्मान समारोह में क्या कहा जिला उपायुक्त ने?

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने इन पंचायतों के मुखियाओं को स्मृति चिन्ह, शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा,
"टीबी मुक्त झारखंड बनाना हमारा लक्ष्य है। पंचायत प्रतिनिधियों ने जिस तरह सरकार की योजनाओं को गाँव-गाँव तक पहुँचाया, वह काबिल-ए-तारीफ है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और जनता के सामूहिक प्रयास से ही हम 2030 तक जिले को टीबी मुक्त बना सकते हैं।"

टीबी से लड़ने में पंचायतों की भूमिका

जागरूकता अभियान: लोगों को बताया गया कि खाँसी तीन हफ्ते से ज्यादा हो तो तुरंत जांच कराएँ।
मुफ्त दवा और इलाज: सरकारी अस्पतालों में टीबी की दवा और जाँच मुफ्त दी जाती है।
पोषण योजना: टीबी मरीजों को 5,000 रुपये तक की पोषण सहायता दी जाती है।
समुदाय की भागीदारी: गाँव के बुजुर्गों, शिक्षकों और आशा कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई।

झारखंड की स्वास्थ्य चुनौतियाँ और आगे की राह

झारखंड में अभी भी कई इलाकों में टीबी का खतरा बना हुआ है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, गरीबी और कुपोषण इसकी बड़ी वजहें हैं। लेकिन इन 12 पंचायतों की सफलता दिखाती है कि अगर सरकार, प्रशासन और जनता मिलकर काम करे, तो टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराया जा सकता है।

क्या झारखंड बनेगा टीबी मुक्त राज्य?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार बनी रही, तो झारखंड 2030 से पहले ही टीबी मुक्त हो सकता है। लेकिन इसके लिए जागरूकता और इलाज में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी होगी।

टीबी मुक्त पंचायतों का यह सफर झारखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है!

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।