Cyber Attack: साइबर ठगी के शिकार होने से बची महिला, कैसे समझदारी से किया अपराधियों का पर्दाफाश?
टाटीझरिया के होलंग गांव में साइबर अपराधियों ने एक महिला के खाते से 14,000 रुपये उड़ा लिए, लेकिन दूसरी महिला की सतर्कता ने अपराधियों के सारे प्रयासों को नाकाम कर दिया। जानें पूरी कहानी।
12 जनवरी 2025: झारखंड के हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड में साइबर अपराधियों के एक नए तरीके से ठगी करने का मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने अपनी समझदारी से खुद को ठगी से बचा लिया। इस घटना ने पूरे गांव में साइबर अपराध से सतर्क रहने की जरूरत को लेकर अलार्म बजा दिया है।
साइबर अपराधियों ने 14,000 रुपये उड़ा लिए, फिर हुआ बड़ा मोड़
शुक्रवार की शाम 5 बजे टाटीझरिया के होलंग गांव निवासी सुरेंद्र कुमार महतो के खाते से साइबर अपराधियों ने 14,000 रुपये निकाल लिए। सुरेंद्र के पत्नी नीलम देवी को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने पूरी तरह से सतर्क होकर साइबर ठगी के एक और शिकार बनने से खुद को बचा लिया। यही नहीं, नीलम देवी ने साइबर अपराधियों के खिलाफ कानूनन कार्रवाई करने की भी सोची।
कैसे हुआ धोखा और किस तरह नीलम देवी ने चलाई समझदारी?
नीलम देवी के मुताबिक, शुक्रवार को उनके मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को सरकारी कर्मचारी बताकर कहा कि "आपके घर एक फरवरी को लड़की का जन्म हुआ है और आंगनबाड़ी की तरफ से 1500 रुपये आ रहे हैं।" इसके बाद, अपराधी ने नीलम देवी से फोन-पे या गूगल पे का नंबर मांगा। नीलम देवी ने तुरंत समझ लिया कि यह एक धोखाधड़ी का प्रयास हो सकता है और उसने इसे मना कर दिया।
पहले भेजा 1 रुपये, फिर उड़ा लिए 14,000 रुपये
साइबर अपराधियों ने नीलम देवी के पति सुरेंद्र कुमार महतो से संपर्क किया और कहा कि उनका बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने फोन-पे नंबर की मांग की। सुरेंद्र ने अपने फोन-पे नंबर दिया। अपराधियों ने पहले एक रुपया उनके खाते में ट्रांसफर किया। इसके बाद, उन्होंने ओटीपी मांगते हुए सुरेंद्र से कहा कि ओके दबाकर पैसे स्वीकार कर लें। जैसे ही सुरेंद्र ने ओके दबाया, उनके खाते से 14,000 रुपये कट गए।
साइबर अपराधियों के खिलाफ शिकायत, अब क्या होगा?
सुरेंद्र कुमार महतो ने साइबर अपराध की शिकायत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की। यह घटना पूरे गांव में फैल गई और लोगों ने साइबर ठगी के प्रति सजगता बढ़ाने का निर्णय लिया। सुरेंद्र के साथ हुई इस ठगी के बाद, एक और महिला बासमती देवी ने ठगी के प्रयास को नाकाम कर दिया। बासमती देवी को भी उसी नंबर से फोन आया, लेकिन उसने भी समझदारी से साइबर अपराधियों के प्रयास को असफल कर दिया।
सतर्कता की मिसाल: बासमती देवी ने दिखाया साहस
बासमती देवी को जब साइबर अपराधियों ने फोन किया और फोन-पे या गूगल पे नंबर मांगा, तो उसने तुरंत समझ लिया कि यह वही धोखाधड़ी हो सकती है जिससे नीलम देवी के पति शिकार हो चुके थे। बासमती ने खुद को साइबर ठगी से बचाने के लिए फोन-पे या गूगल पे नंबर देने से मना कर दिया। इस तरह बासमती देवी की समझदारी ने उसे साइबर ठगी से बचा लिया।
साइबर अपराध की बढ़ती समस्या: कैसे बचें?
यह घटना हमें यह सिखाती है कि साइबर अपराधी कितनी चतुराई से काम करते हैं और वे हमारे निजी डेटा को हासिल करने के लिए हर तरह के नापाक तरीके अपनाते हैं। हालांकि, इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि जागरूकता और सतर्कता से हम इन अपराधों से बच सकते हैं। साइबर अपराधियों के खिलाफ पूरे गांव में जागरूकता फैलाई जा रही है, ताकि कोई और इनकी ठगी का शिकार न बने।
टाटीझरिया के होलंग गांव में हुई इस साइबर ठगी की घटना ने एक तरफ जहां सतर्कता और जागरूकता की आवश्यकता को उजागर किया, वहीं दूसरी तरफ इसने यह भी साबित कर दिया कि समझदारी से इन अपराधियों के प्रयासों को नाकाम किया जा सकता है। इस घटना ने पूरे गांव को यह सिखाया कि साइबर अपराधियों से बचने के लिए खुद को लगातार अपडेट रखना बेहद जरूरी है।
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