टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा को दी श्रद्धांजलि: कंपनी हितैषी और मजदूरों के संरक्षक

टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा की 165वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जानिए कैसे उन्होंने टाटा स्टील और भारतीय खेलों में अहम योगदान दिया, जो आज भी कंपनी की खेल विरासत का हिस्सा है। टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा की 165वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जानिए कैसे उन्होंने टाटा स्टील और भारतीय खेलों में अहम योगदान दिया, जो आज भी कंपनी की खेल विरासत का हिस्सा है।

Aug 27, 2024 - 18:30
Aug 28, 2024 - 12:38
टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा को दी श्रद्धांजलि: कंपनी हितैषी और मजदूरों के संरक्षक
टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा को दी श्रद्धांजलि: कंपनी हितैषी और मजदूरों के संरक्षक

टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा की 165वीं जयंती को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया। इस खास मौके पर जमशेदपुर स्थित सर दोराबजी टाटा पार्क (कीनन स्टेडियम के सामने) में एक विशेष श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में वाइस प्रेसिडेंट ऑपरेशंस, चैतन्य भानु मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ पूर्व डिप्टी एमडी डॉ. टी मुखर्जी और टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी टुन्नु विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।

इस आयोजन में टाटा स्टील और समूह की अन्य कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, डेजी ईरानी, टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी और जमशेदपुर के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। अपने संबोधन में, चैतन्य भानु ने सर दोराबजी टाटा के भारतीय औद्योगीकरण और राष्ट्र के समग्र विकास में उनके अमूल्य योगदान को याद किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार संकट के समय में सर दोराबजी टाटा और उनकी पत्नी मेहरबाई टाटा ने टाटा स्टील को बचाने के लिए अपनी पूरी संपत्ति को दांव पर लगा दिया था।

टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी टुन्नु ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि सर दोराबजी टाटा ने हमेशा मजदूरों की समस्याओं को समझा और यूनियन के विकास में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सर दोराबजी टाटा का खेलों के प्रति जुनून अत्यंत गहरा था। उन्होंने खेलों और पार्कों के लिए स्थान आरक्षित करने के अपने पिता जमशेदजी टाटा के विजन को अपनाया और खेलों को कंपनी के लोकाचार का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया।

सर दोराबजी टाटा की खेलों के प्रति इस समर्पण का ही नतीजा था कि उन्होंने भारत को 1920 के एंटवर्प ओलंपिक खेलों में शामिल कराने के लिए भारतीय एथलीटों को प्रायोजित किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत ने 1924 के पेरिस ओलंपिक में भी हिस्सा लिया और सर दोराबजी टाटा को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति में नियुक्त किया गया। वे भारतीय ओलंपिक संघ के पहले अध्यक्ष भी बने।

टाटा स्टील आज भी इस खेल विरासत को आगे बढ़ा रही है। फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, हॉकी, और स्पोर्ट क्लाइम्बिंग जैसे विविध खेलों के लिए स्थापित अकादमियों के माध्यम से, कंपनी पूरे भारत में खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रही है। सर दोराबजी टाटा की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के व्यवसायियों और उद्यमियों के लिए एक निरंतर प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।