Sidhgora Saraswati Puja 2025: रघुवर दास ने किया भव्य पंडाल का उद्घाटन, जानें इस आयोजन का महत्व
जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित श्रीश्री सार्वजनिक 28 नंबर सरस्वती पूजा समिति ने धूमधाम से पूजा मनाई। रघुवर दास ने फीता काटकर पंडाल का उद्घाटन किया, जानिए इस विशेष आयोजन के बारे में।
जमशेदपुर के सिदगोड़ा में इस बार का सरस्वती पूजा समारोह कुछ खास है! श्रीश्री सार्वजनिक 28 नंबर सरस्वती पूजा समिति ने अपने भव्य पंडाल और आकर्षक प्रतिमा के साथ इस बार सरस्वती पूजा का आयोजन धूमधाम से किया। इस आयोजन का उद्घाटन रविवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फीता काटकर किया, जो इस पूजा की महत्ता को और भी बढ़ा गया।
रघुवर दास का विशेष संदेश
पंडाल का उद्घाटन करते हुए रघुवर दास ने मां सरस्वती से आशीर्वाद लिया और सभी भक्तों को बुद्धि और ज्ञान प्रदान करने की कामना की। उन्होंने कहा, “मां सरस्वती सभी भक्तों को ज्ञान और बुद्धि दे, ताकि वे समाज और देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।” रघुवर दास का यह संदेश खासतौर पर युवाओं के लिए प्रेरणादायक था, जो आगे बढ़कर समाज में बदलाव ला सकते हैं।
यह आयोजन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक पहल भी साबित हुआ, जो पूरे समुदाय को एक साथ लेकर आया।
आकर्षक प्रतिमा और भव्य पंडाल
इस बार के पूजा पंडाल में एक बेहद आकर्षक और सुंदर सरस्वती प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो भक्तों को आकर्षित कर रही थी। पंडाल का डिज़ाइन और उसकी सजावट बेहद भव्य थी, जो दर्शाता था कि इस पूजा समिति ने हर छोटे-बड़े पहलू पर खास ध्यान दिया है। पंडाल की रंग-बिरंगी रोशनियां और कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां पूजा के माहौल को और भी आकर्षक बना रही थीं।
पूजा पंडाल में विशेष रूप से बनाए गए मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जहां लोग एक साथ पूजा और मनोरंजन का आनंद ले रहे थे। यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी को देखा गया।
मुख्य अतिथि और कार्यक्रम में मौजूद लोग
इस आयोजन में सिदगोड़ा सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। साथ ही पूजा समिति के अध्यक्ष दीपक सिंह, संरक्षक संदीप कमत, और कमेटी के सभी सदस्य भी उपस्थित थे। सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए पूजा समिति ने उन्हें सम्मानित किया। इस समारोह में स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए और अपनी श्रद्धा अर्पित की।
दीपक सिंह ने इस अवसर पर कहा, “हमारे समाज में ऐसे धार्मिक आयोजनों का महत्व है, क्योंकि ये हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं और एकजुट करते हैं। हम हर साल इस पूजा को और भी भव्य बनाने का प्रयास करते हैं।”
सरस्वती पूजा का ऐतिहासिक महत्व
सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से विद्या, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा के रूप में मनाई जाती है। यह पूजा विद्यार्थियों, कलाकारों और शिल्पकारों के लिए खास होती है, क्योंकि वे मां सरस्वती से अपने ज्ञान में वृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती का जन्म विक्रमी संवत के अनुसार माघ शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था। इस दिन को पूरे देश में ज्ञान और शिक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
पूजा की सामाजिक भूमिका
हर वर्ष सरस्वती पूजा का आयोजन लोगों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्थाओं को प्रगाढ़ करता है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाने का भी कार्य करता है। इस तरह के आयोजन से न केवल सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह सामूहिकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है।
सिदगोड़ा स्थित श्रीश्री सार्वजनिक 28 नंबर सरस्वती पूजा समिति का आयोजन इस वर्ष यादगार बन गया। रघुवर दास के उद्घाटन से लेकर भव्य पंडाल और आकर्षक प्रतिमा तक, यह पूजा हर दृष्टिकोण से विशेष रही। इस तरह के आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। यह पूजा हर साल की तरह इस बार भी भक्तों को ज्ञान और आशीर्वाद देने का माध्यम बनी और समाज में सकारात्मक संदेश फैलाने का कार्य किया।
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