Jamshedpur Salute: नमन परिवार ने वीर कुंवर सिंह के शहादत दिवस पर दी भावभीनी श्रद्धांजलि, युवाओं से की राष्ट्र सेवा की अपील
जमशेदपुर में स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह के शहादत दिवस पर भव्य श्रद्धांजलि समारोह आयोजित। नमन परिवार के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले समेत क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने देशभक्ति के संदेश के साथ किया नमन। जानिए कैसे आज भी प्रासंगिक है 1857 के इस महानायक का संघर्ष।

जमशेदपुर के एक भव्य कार्यक्रम में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक वीर कुंवर सिंह को उनके शहादत दिवस पर याद किया गया। नमन परिवार द्वारा आयोजित इस समारोह में सैकड़ों लोगों ने भाग लेकर 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों से लोहा लेने वाले इस वीर सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कौन थे वीर कुंवर सिंह?
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक
- बिहार के भोजपुर क्षेत्र के जमींदार और सेनापति
- 80 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी
- अपने अंतिम समय में भी तोप से हाथ गंवाने के बाद लड़ते रहे
- 26 अप्रैल 1858 को वीरगति को प्राप्त हुए
श्रद्धांजलि समारोह की मुख्य बातें
- नमन परिवार के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले के नेतृत्व में आयोजन
- मुख्य अतिथि शंभूनाथ सिंह ने कहा - "कुंवर सिंह की ज्योति आज भी हमें राह दिखाती है"
- बृजभूषण सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) और कल्याणी शरण (झारखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष) सहित कई गणमान्य उपस्थित
- युवाओं से राष्ट्र सेवा और सामाजिक समरसता का आह्वान
वक्ताओं ने क्या कहा?
अमरप्रीत सिंह काले ने जोर देकर कहा -
"वीर कुंवर सिंह का जीवन राष्ट्रभक्ति का अद्वितीय उदाहरण है। आज जब देश नए भारत की ओर बढ़ रहा है, हमें ऐसे वीरों से प्रेरणा लेकर समाज सेवा में जुटना चाहिए।"
शंभूनाथ सिंह ने कहा -
"1857 की क्रांति में कुंवर सिंह ने साबित किया कि उम्र स्वतंत्रता के जज्बे के आगे बाधा नहीं है। आज के युवाओं को इसी जुनून के साथ देश सेवा करनी चाहिए।"
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1857 से 2024 तक: क्यों आज भी प्रासंगिक है कुंवर सिंह का संघर्ष?
1. वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रेरणा - 80 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय भूमिका निभाने का उदाहरण
2. रणनीतिक युद्ध कौशल - गुरिल्ला युद्ध पद्धति से अंग्रेजों को चकमा देना
3. सामाजिक एकता - सभी वर्गों को एक साथ लाकर लड़ने का संदेश
आज के संदर्भ में सीख
- राष्ट्रहित को व्यक्तिगत हित से ऊपर रखना
- किसी भी उम्र में देश सेवा संभव है
- सामाजिक समरसता के बिना राष्ट्र निर्माण असंभव
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नमन परिवार की भूमिका
- 2015 से लगातार वीर कुंवर सिंह को श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर रहा
- युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने का प्रयास
- ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के योगदान को सामने लाने का अभियान
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अन्य उल्लेखनीय उपस्थिति
- भाजपा नेता शैलेंद्र कुमार सिंह
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के टी नटराजन
- पूर्व सैनिक सेवा परिषद के वरुण कुमार
- क्षेत्र की सैकड़ों महिलाएं और युवा
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निष्कर्ष: क्यों जरूरी है ऐसे आयोजन?
वीर कुंवर सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। जब तक देश के युवा ऐसे वीरों के बलिदान को याद रखेंगे, तब तक भारत की स्वतंत्रता का मूल्य समझा जा सकता है। नमन परिवार का यह प्रयास सराहनीय है कि वह नई पीढ़ी को उनकी विरासत से जोड़ रहा है।
आज का सवाल: क्या आपने अपने बच्चों को वीर कुंवर सिंह की गाथा सुनाई है?
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